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पूर्णिया में बीमार है 'सुशासन का सिस्टम'! उद्घाटन के 10 साल बाद भी ICU पर लटक रहा ताला

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Published : Mar 27, 2021, 6:11 PM IST

Updated : Mar 27, 2021, 6:47 PM IST

एक तरफ जहां सूबे के सीएम नीतीश कुमार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का राग अलापकर अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं. वहीं, दूसरी ओर सीमांचल के एम्स के नाम से मशहूर पूर्णिया का सदर अस्पताल में आईसीयू की सेवाएं सालों से बंद पड़ी है. ये अस्पताल सीएम के दावों को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. देखिए ये रिपोर्ट.

पूर्णिया
पूर्णिया

पूर्णिया:साल 2011 में लाखों की लागत से तैयार पूर्णिया के सदर अस्पताल के आईसीयू से 7 जिलों की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएंबहाल की जानी थी. हालांकि, आम दिनों में ही नहीं बल्कि कोरोना जैसे संक्रमण काल में भी आईसीयू फिसड्डी ही साबित हुआ.

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सीमांचल के एम्स का फिसड्डी आईसीयू
सीमांचल-कोसी का केंद्र होने के साथ ही जिले से सटे कई दूसरे राज्यों के मरीज रोजाना यहां एडमिट होते हैं. अफसोस आईसीयू की सेवाएं ठप होने की वजह से या तो उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है या उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है.

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वीवीआईपी गेस्ट का वीआईपी आईसीयू
हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि सीमांचल के इस एम्स की आईसीयू की सेवाएं कभी बहाल ही नहीं हुईं. उद्देश्यों से इतर हाई प्रोफाइल और वीवीआईपी चेहरों के लिए उद्घाटन के बाद इसे कई बार खोला गया. इस तरह वीआईपी आईसीयू की सेवाएं पाने वालों में सांसद, विधायक और दूसरे हाई प्रोफाइल चेहरों का नाम शामिल रहा है.

आईसीयू की सेवाएं सालों से बंद

आईसीयू पर सिस्टम की सुस्ती का ताला
स्थानीय बताते हैं कि पटना से करीब 400 किलोमीटर का फासला होने के कारण जिले से ही नहीं, बल्कि सीमांचल-कोसी सहित सीमावर्ती पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों से भी लोग यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. हालांकि, ऐसे सभी मरीज जिनकी हालात नाजुक होती है, आईसीयू पर ताला जड़े होने के कारण या तो उन्हें नजदीकी सिलीगुड़ी जिले या फिर राजधानी पटना के अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया जाता है.

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2011 में हुआ था आईसीयू का उद्घाटन
अस्पताल के आईसीयू में ताला लटका होने से यहां के स्थानीयों में इसे लेकर खासी नाराजगी है. इनकी मानें तो 2011 में यहां आईसीयू का उद्घाटन तो कर दिया गया. लेकिन, इसके करीब एक दशक बाद भी किसी मरीज को आईसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी. अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक इन 10 सालों में महज 2 दर्जन लोगों को ही आईसीयू के रिकॉर्ड लिस्ट में जगह मिल सकी है. हालांकि, आईसीयू रोजाना केवल साफ सफाई के लिए खुलता है.

आईसीयू में 'सुशासन का सिस्टम'

बिना आईसीयू दम तोड़ रही जिंदगियां
स्थानीय बताते हैं आईसीयू की सुविधा हो जाए तो महज पूर्णिया ही नहीं, बल्कि 7 जिलों के लोगों को राहत मिल सकेगा. साथ ही कई ऐसी जानें भी बचाई जा सकेंगी जो आईसीयू की आस में या तो अस्पताल के कॉमन इमरजेंसी वेंटिलेटर पर दम तोड़ देती हैं या फिर जिनकी राजधानी पटना स्थित पीएमसीएच जाते हुए एंबुलेंस में ही मौत हो जाती है.

डॉ. उमेश शर्मा, सिविल सर्जन

''आईसीयू में एडमिट होने वाले मरीजों को अनुभवी चिकित्सकों की जरूरत पड़ती है. जबकि यहां कुशल चिकित्सकों की कमी है. इस संबंध में विभाग को पत्र लिखकर चिकित्सकों की बहाली की मांग की गई है''-डॉ. उमेश शर्मा, सिविल सर्जन

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आश्वासनों का आईसीयू
वहीं, इन सब पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन उमेश शर्मा आईसीयू बंद होने की अलग ही दलील पेश करते हैं. इनके मुताबिक इसके बंद होने की मुख्य वजह डॉक्टरों की कमी है. बहुत जल्द इस समस्या से अस्पतालों को निजात मिलेगी.

Last Updated : Mar 27, 2021, 6:47 PM IST

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