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हिंदी दिवस: सोशल मीडिया पर हमारी हिंदी का कितना प्रभाव, राय दे रहे हैं आम से खास इंसान

हिंदी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने आम से खास लोगों से बात कर ये जानने की कोशिश की है कि हमारी हिंदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना कितना प्रभाव छोड़ा. सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी को क्या फायदा या नुकसान हुआ.

क्या है आम और खास की राय

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Published : Sep 14, 2019, 6:56 AM IST

पटना:देशभर में आज हिंदी दिवस को मनाया जा रहा है. हिंदी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने ये जानने की कोशिश की कि सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों ने हिंदी को कितना प्रभावित किया है. सोशल मीडिया से हिंदी को कितना फायदा या नुकसान पहुंचा है. इसके लिए हमने आम नहीं बल्कि खास लोगों से भी उनकी राय जानी.

हिंदी दिवस पर बधाई देते हुए बिहार विधान परिषद में कार्यकारी सभापति हारून रशीद ने कहा कि सोशल मीडिया ने हिंदी को लोगों के लिए आसान बना दिया है. इससे लोगों के लिए न सिर्फ हिंदी पढ़ना, लिखना और समझना आसान हुआ है बल्कि दूसरी भाषाओं से ऑनलाइन हिंदी में अनुवाद में लोगों के लिए उनका काम आसान कर दिया है.

क्या है आम और खास की राय

हिंदी के प्रति बढ़ा है रुझान-व्यवसायी
ईटीवी भारत ने कई व्यवसायियों और निजी कंपनी में काम करने वाले लोगों से भी बात की. इनमें से ज्यादातर लोगों का कहना था कि जब से फेसबुक, ट्विटर और गूगल पर लोगों ने काम करना शुरू किया. उसके बाद से लोग आसानी से अपनी बातें शेयर कर पा रहे हैं. इससे हिंदी लिखने के प्रति भी लोगों का रुझान बढ़ा है.

सोशल मीडिया ने काम किया आसान-व्यवसायी
निजी कंपनी में अधिकारी ओमप्रकाश ने कहा कि उनका काम यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया एप्स ने काफी आसान कर दिया है क्योंकि इसके जरिए लोगों को वीडियो बनाकर हिंदी में समझाना और अपने उत्पाद बेचना आसान हो गया है. वहीं, कई अन्य व्यवसायियों ने भी कहा कि जब सोशल मीडिया नहीं था, तब लोग अगर कुछ लिखना भी चाहते थे. तो उससे ज्यादा तो लोगों तक पहुंचाने का कोई जरिया नहीं था.

बढ़ी है हिंदी की पहुंच- व्यवसायी
एक निजी कंपनी में बिजनेस मैनेजर संजीव राजगीरी ने कहा कि चाहे कोई कविता लिखनी हो या अपनी कोई बात कहनी हो, ये सारी चीजें अब काफी आसान हो गई हैं. फेसबुक और ट्विटर के जरिए हिंदी में लिखकर और उसे बड़ी संख्या में लोगों को एक साथ तक पहुंचाने के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप बड़ा जरिया बन गए हैं. इससे अब लोग हिंदी में लिखने लगे हैं. हिंदी के प्रति लोगों का रुझान भी बढ़ा है और हिंदी की पहुंच भी ज्यादा लोगों तक बढ़ी है.

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