पूर्णियाः लॉकडाउन के बाद प्रदेशों से लौटे श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिले के दो प्रखण्डों में गारमेंट्स क्लस्टर सेंटर का उद्घाटन किया गया. इसके तहत 32 प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के दावे किए गए.
इन दावों की कलई तब खुल गई, जब ईटीवी भारत की टीम उद्घाटन के ठीक 5वें रोज ग्राउंड जीरो पर पहुंची. विकास की ऐसी डरावनी तस्वीर जिसे देखकर हर किसी की आंखें फटी रह जाए. इस गारमेंट्स क्लस्टर का उद्घाटन जिला प्रशासन की ओर से जिला औद्योगिक नवप्रवर्तन योजना के तहत किया गया है.
प्रवासी श्रमिकों को मिलना था रोजगार
दरसअल बीते 28 अगस्त को डीएम राहुल कुमार, डीडीसी और कार्यक्रम पदाधिकारी डॉक्टर नीलमणि समेत दूसरे बड़े अधिकारियों के साथ डगरुआ और जलालगढ़ प्रखंड पंहुचे. जहां उन्होंने प्रदेशों से लौटे स्किल्ड कामगारों को रोजगार के मुहैया कराने के लिए गारमेंट्स क्लस्टर की अनूठी शुरुआत की. जिसका मकसद था कामगारों को सूक्ष्म लघु उद्योगों के मॉडल से जोड़कर रोजगार व स्वरोजगार के मौके उपलब्ध कराना.
जजर्र भवन में खोला गया क्लस्टर सेंटर
ईटीवी भारत की टीम इस योजना का जायजा लेने के लिए जिला मुख्यालय से करीबन 35 किलोमीटर दूर जलालगढ़ प्रखंड के एकंबा पंचायत स्थित खाता हाट गांव पहुंची. जहां की हालत देखकर यकीन नहीं हुआ. ए.आर.गारमेंट्स नाम के जिस क्लस्टर सेंटर का उद्घाटन किया गया है वह 4 कमरों वाली एक मंजिला इमारत है. जो बेहद जजर्र और बदहाल अवस्था में है. भवन के ऊपरी सीलिंग जगह-जगह से टूटी हुई है. फर्श में गड्ढे ऐसे हैं जैसे जमीन की सतह नहीं बल्कि खाई हो. बदहाली की कहानी बयान करता यह एक ऐसा भवन है, जिसकी जद में आकर किसी की भी जान जा सकती है.
क्लस्टर सेंटर को मिली एक मशीन और जनरेटर संसाधन के बगैर खाली पड़ा है क्लस्टर सेंटर
इस सेंटर में औद्योगिक नवप्रवर्तन योजना के तहत सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए 4 के बजाए सिर्फ एक टेलरिंग मशीन थी. एक जनरेटर था. चंद और आधे-अधूरे संसाधन थे. इंच टेप और मुट्ठी भर कच्चे माल थे. इसके अलावा क्लस्टर सेंटर के सभी कमरे पूरी तरह खाली पड़े थे. जिसमें फिलहाल गांव के नौनिहाल लुका-छिपी का खेल खेलकर रहे थे.
क्लस्टर सेंटर की जर्जर छत आनन-फानन में कराया गया था उदघाटन
इस सिलसिले में ए.आर. गारमेंट्स क्लस्टर सेंटर प्रमुख मो. अफजल अंसारी ने बताया कि उदघाटन से एक रोज पहले देर शाम जलालगढ़ स्थित कार्यक्रम पदाधिकारी ने कार्यालय से फोन कर जानकारी दी गई कि डीएम राहुल कुमार क्लस्टर सेंटर के उद्घाटन के लिए पंहुचने वाले हैं. जिसके बाद ग्रामीणों ने इसकी साफ-सफाई की. आनन-फानन में उद्घाटन के लिए साज-सज्जा की गया. जिसके बाद डीएम राहुल कुमार ने क्लस्टर सेंटर का उद्घाटन किया.
12 प्रवासी श्रमिकों को मिलना था रोजगार
मो. सय्यद अंसारी और क्लस्टर सेंटर में रोजगार पाने वाले दूसरे कामगारों ने बताया कि योजना के उद्घाटन से पूर्व उन्हें इस प्रोजेक्ट के तहत 10 लाख की राशि खर्च किए जाने की बात कही गई थी. बाद में किन्हीं कारणों से इस राशि को 6 लाख कर दिया गया. वहीं, इस योजना के तहत स्किल्ड और अन स्किल्ड प्रवासी कामगारों को मिलाकर कुल 12 लोगों को इससे जोड़ा गया. जो मशीन और कच्चे माल के आने की राह तक रहे हैं. इस तरह 5 दिन गुजरने को है लेकिन अब तक महज भरोसे से ही सभी को काम चलाना पड़ रहा है.
खाली पड़ा गारमेंट्स क्लस्टर सेंटर टकटकी लगाए बैठे हैं श्रमिक
योजना के लाभुक मो. सईद अंसारी ने बताया कि उद्घाटन के वक़्त सभी से एक दिन बाद से क्लस्टर सेंटर में कार्य प्रारंभ हो जाने की बात कही गई थी. तब से वे सभी इसके इंतेजार में दिन काट रहे हैं. लाभार्थी बताते हैं वे सभी प्रदेशों में रहे हैं. लिहाजा पूरी जिंदगी में ऐसा पहली दफे देखा जब बगैर संसाधन के ही उद्घाटन करा लिया गया. वहीं, इसके इंतेजार में सभी ने छोटे -मोटे काम धंधे छोड़ दिए हैं. जहां काम छोड़ा था, मालिक ने किसी और को रख लिया. हालात ऐसे हैं कि वे अब न घर के रहें न घाट के.
कार्यक्रम पदाधिकारी ने साधी चुप्पी
इस सिलसिले में जब क्लस्टर कार्यक्रम प्रभारी सह कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ नीलमणि से जब बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने पूरे मामले को सुनने के बाद कुछ कहना भी मुनासिब नहीं समझा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.
काम शरू होने के इंतजार में मजदूर