पूर्णिया:स्वतंत्रता सेनानी, पूर्णिया से चार बार विधायक और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके दिवगंत रामनारायण मंडल का परिवार लंबे समय से अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहा था. ईटीवी भारत ने इस परिवार की स्थिति से सभी को अवगत कराया था, और प्रशासन से पूछा था कि आखिर इस परिवार की ओर क्यों ध्यान नहीं दिया जा रहा. ईटीवी भारत की खबर पर संज्ञान लेते हुए एसडीओ विनोद कुमार ने शुक्रवार को पूर्व स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों को ईटीवी भारत संवाददाता आकाश कुमार से संपर्क कर दफ्तर बुलाया,और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.
स्वतंत्रता सेनानी के परिवार की मदद करेगा प्रशासन यह भी पढ़ें- पूर्णिया: स्वतंत्रता सेनानी का परिवार दूध बेचकर कर रहा गुजारा, जमीन पर भू माफियाओं का कब्जा
दूध बेच रहा था परिवार
रेल मंत्री रहते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन वादे को पूरा नहीं किया गया. ऐसे में जब ईटीवी भारत ने सिस्टम पर सवाल उठाए तब जाकर अब कार्रवाई की जा रही है.
संजीव कुमार, स्वतंत्रता सेनानी के पोते 'एसडीओ विनोद कुमार ने हमारी समस्याएं जानी और वर्तमान की स्थिति के बारे में भी जानकारी ली. हमने सारी समस्याएं एसडीओ के सामने रख दी है. एसडीओ की ओर से जमीन से कब्जा छुड़ाए जाने की बात कही गई है. साथ ही हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है.'-संजीव कुमार, स्वतंत्रता सेनानी के पोते
एसडीओ ने दिया मदद का भरोसा
एसडीओ डॉ विनोद कुमार से मुलाकात के बाद पूर्व स्वतंत्रता सेनानी सह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के दोनों बेटों ने कहा कि ईटीवी भारत ने प्रमुखता से हमारी आवाज उठाई थी. जिसके बाद ईटीवी भारत संवाददाता के जरिए एसडीओ की ओर से उनसे मुलाकात की बात फोन कर बताई गई.
'डीएम राहुल कुमार के समक्ष इनकी समस्याएं रखी जाएंगी. साथ ही जिला प्रशासन इस परिवार की हर संभव मदद करेगा.'- विनोद कुमार, एसडीओ
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कौन थे रामनारायण मंडल
स्वतंत्रता आंदोलन की लौ तेज होते ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और डॉ राजेंद्र प्रसाद सरीखे नेताओं का आगमन पूर्णिया की धरती पर हुआ. कांग्रेस पार्टी की ओर से रामनारायण मंडल को सीमांचल और कोसी में आंदोलन की धार मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली. जिसके बाद वे खुलकर स्वतंत्रता आंदोलनों की मेजबानी करते रहे. उनके देशप्रेम को देखते हुए सन 1952 में पहले आम चुनाव में स्वतंत्रा सेनानी रामनारायण मंडल को कांग्रेस पार्टी ने बिहार विधानसभा के लिए बनमनखी और रानीगंज संयुक्त क्षेत्र से सदस्य निर्वाचित किया.
सन 1957 में उन्होंने रानीगंज विधानसभा सीट से चुनाव जीता. इसके बाद सन 1967, 1969, और 1972 में कसबा विधानसभा सीट से लगातार 3 बार विधायक बने. गांधीवादी विचारधारा, सर्व साधारण में गहरी पकड़ और विलक्षण प्रतिभा के बूते वे विधानसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन हुए. 11 मार्च 1969 को उन्हें बिहार विधानसभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया. इस अवधि में वे कार्य मंत्रणा समिति, आवास समिति और नियम समिति जैसे सर्वप्रमुख जिम्मेदारियों को बतौर सभापति संभालते रहे.