पूर्णिया: कोरोना काल में दुनिया भर से बदलाव की तस्वीरें सामने आ रही हैं. इंसानी तौर-तरीकों से लेकर एग्रीकल्चर सेक्टर पर इसका असर साफ देखा जा सकता है. लिहाजा कोविड -19 संकट काल में जिले के किसान अनूठी इंटरक्रोपिंग तकनीक के तहत ताकतवर फल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. किसान का दावा है कि वे ऐसे पहले किसान हैं जो इस अनूठी तकनीक के तहत ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं.
दरअसल महामारी के दौर में जहां समूची दुनिया प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने के तरीके तलाश रही है. वैश्विक पैनडेमिक को किस वैक्सीन से हराया जाए, इसे लेकर दुनिया भर में प्रयोग जारी है तो जिले में एक ऐसा किसान परिवार भी है जो कोरोना महामारी को मात देने के लिए खेतों में डटकर मेहनत कर रहा है.
इंटर क्रोपिंग तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की खेती
जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर धमदाहा प्रखंड क्षेत्र के बिशनपुर गांव में रहने वाले किसान अंजनी चौधरी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर इंसानी शरीर में जादुई असर दिखाने वाले ड्रैगन फ्रूट जैसे ताकतवर फल की खेती कर रहे हैं. इसमें उनका परिवार भी भरपूर साथ दे रहा है. ये लोग एक एकड़ की खेती में जैविक विधि से खेती कर रहे हैं. किसान का दावा है कि इंटर क्रोपिंग तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की खेती के साथ 12 से भी अधिक किस्म की दूसरी सब्जियों और फल की खेती करने वाले वे जिले के ही नहीं बल्कि समूचे बिहार और देश भर के पहले किसान हैं.
कोरोना काल में बढ़ी फ्रूट की डिमांड
अंजनी कहते हैं कि इसके पीछे दो बड़े कारण रहे. 2018 में जब पहले - पहल उन्होंने इस जादुई फल की खेती की तो उम्मीद के मुताबिक मुनाफा हाथ नहीं लगा, जिसके बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट के साथ ही इंटरक्रोपिंग तकनीक के तहत दूसरी सब्जियों और फलों की खेती शुरू की. अब कोरोना के समय में जैसे - जैसे लोगों को इसके फायदे मालूम हुए इसकी डिमांड तेज हो गई. बाजारों में यह हाथों-हाथ बिकने लगा. मौजूदा दौर में जिला व सूबे समेत बंगाल, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों से डिमांड इतनी तेज है कि वे अब इस खपत को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.