बिहार

bihar

ETV Bharat / state

पूर्णिया: इंटरक्रोपिंग तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की खेती, किसान ने कोरोना काल में कमाया बंपर मुनाफा

जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक बूस्ट इम्यूनिटी ही लोगों को इससे लड़ने के लिए सक्षम रख सकती है. ऐसे में लोग खाने - पीने में उन चीजों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं. इसे देखते हुए बिहार के एक किसान ने ड्रैगन फ्रूट की खेती कर एग्रीकल्चर सेक्टर में नई पारी खेली है.

By

Published : Jul 30, 2020, 5:55 PM IST

पूर्णिया
पूर्णिया

पूर्णिया: कोरोना काल में दुनिया भर से बदलाव की तस्वीरें सामने आ रही हैं. इंसानी तौर-तरीकों से लेकर एग्रीकल्चर सेक्टर पर इसका असर साफ देखा जा सकता है. लिहाजा कोविड -19 संकट काल में जिले के किसान अनूठी इंटरक्रोपिंग तकनीक के तहत ताकतवर फल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. किसान का दावा है कि वे ऐसे पहले किसान हैं जो इस अनूठी तकनीक के तहत ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं.

एक ही खेत में कई फसलें

दरअसल महामारी के दौर में जहां समूची दुनिया प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने के तरीके तलाश रही है. वैश्विक पैनडेमिक को किस वैक्सीन से हराया जाए, इसे लेकर दुनिया भर में प्रयोग जारी है तो जिले में एक ऐसा किसान परिवार भी है जो कोरोना महामारी को मात देने के लिए खेतों में डटकर मेहनत कर रहा है.

ड्रैगन फल की खेती से किसान को मुनाफा

इंटर क्रोपिंग तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की खेती

जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर धमदाहा प्रखंड क्षेत्र के बिशनपुर गांव में रहने वाले किसान अंजनी चौधरी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर इंसानी शरीर में जादुई असर दिखाने वाले ड्रैगन फ्रूट जैसे ताकतवर फल की खेती कर रहे हैं. इसमें उनका परिवार भी भरपूर साथ दे रहा है. ये लोग एक एकड़ की खेती में जैविक विधि से खेती कर रहे हैं. किसान का दावा है कि इंटर क्रोपिंग तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की खेती के साथ 12 से भी अधिक किस्म की दूसरी सब्जियों और फल की खेती करने वाले वे जिले के ही नहीं बल्कि समूचे बिहार और देश भर के पहले किसान हैं.

खूब फल रहे ड्रैगन फ्रूट

कोरोना काल में बढ़ी फ्रूट की डिमांड

अंजनी कहते हैं कि इसके पीछे दो बड़े कारण रहे. 2018 में जब पहले - पहल उन्होंने इस जादुई फल की खेती की तो उम्मीद के मुताबिक मुनाफा हाथ नहीं लगा, जिसके बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट के साथ ही इंटरक्रोपिंग तकनीक के तहत दूसरी सब्जियों और फलों की खेती शुरू की. अब कोरोना के समय में जैसे - जैसे लोगों को इसके फायदे मालूम हुए इसकी डिमांड तेज हो गई. बाजारों में यह हाथों-हाथ बिकने लगा. मौजूदा दौर में जिला व सूबे समेत बंगाल, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों से डिमांड इतनी तेज है कि वे अब इस खपत को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

डैगन की खेती

लॉकडाउन में कमाया जबरदस्त मुनाफा

दिसंबर से अब तक महज ड्रैगन फ्रूट से वे 12 लाख का मुनाफा कमा चुके हैं. वहीं इसके अलावा अन्य फल और सब्जियों के मुनाफे को जोड़े तो यह 15 लाख के करीब हैं. इस परिवार का दावा है कि किसान धैर्य रखकर इसकी नियमित खेती करें तो 5 साल के भीतर यह करिश्माई फल प्रति कट्ठा 2 लाख का फायदा दे सकता है. इसके अलावा दूसरी सब्जी और फल की खेती से आने वाला 3-4 लाख का मुनाफा आएगा सो अलग. तजुर्बेकार किसान की मानें तो बशर्ते इस खेती में महज जैविक विधि ही अपनाई जानी चाहिए.

देखें वीडियो

जादुई असर देता है ड्रैगन फ्रूट

किसान अंजनी चौधरी कहते हैं कि 5 साल एक लंबा पीरियड होता है. सो उनके भी सब्र का बांध टूटने लगा था. मगर इसी बीच दुनिया भर में कोरोना संक्रमण का हमला हुआ. देखते ही देखते भारत में भी इसकी एंट्री हो गई. लिहाजा उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती इस साल क्विट करने की बजाए सिर्फ इसलिए जारी रखी क्योंकि खतरनाक संक्रमण से बचाव का एक असरदार उपाय इंसानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की मजबूती थी.

युवाओं में बांट रहे अपना स्किल

कोरोना काल में जिस प्रकार इसके असरदार फायदों के कारण ड्रैगन फ्रूट की डिमांड बढ़ी और महज कुछ महीनों में टारगेट मुनाफा पार कर गया है. उससे इनकी अथक मेहनत और सच्ची सेवा भावना की जीत हुई है. वहीं पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश से इतर अपनी माटी को सोना बना रहे शुभम कुमार कहते हैं कि इसके फायदे और मुनाफों के बाद रोजाना कई किसान इस खेती को अपनाने के तरीके जानने उनके पास पहुंच रहे हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details