पूर्णिया: दुर्गा पूजा की भक्ति में पूरा बिहार डूब चुका है. बंगाली समुदाय की परंपरा के अनुसार षष्ठी पूजा के साथ ही बांग्ला मंडपों में विराजमान मां दुर्गा के पट खुल गए हैं. मां दुर्गा के षष्टी रूप मां कात्यायनी की पूजा करने के बाद जिले के भट्टा दुर्गाबाड़ी, रजनी चौक बाड़ीहाट दुर्गा मंदिर, गुलाबबाग मंडी, डीएसए ग्राउंड आदि जगहों पर पूजा शुरू हो चुकी है. इस दौरान बांग्ला मंडपों में ढाक के स्वर से पूरा पंडाल परिसर गूंज उठा. बताया जाता है कि बंगाल रीति रिवाज के अनुसार पूजा का विशेष विधान है.
104 वर्षों से होती है पूजा
शहर का भट्टा दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल सबसे प्राचीन और प्रमुख पूजा पंडाल है. यहां 104 वर्षों से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. यह इलाका बंगाली पाड़ा के नाम से भी जाना जाता है. यहां मूर्तियों की कारीगरी से लेकर पंडाल की भव्य बनावट और पूजा पद्धति में बंगाली विधि विधान का समागम साफ देखा जा सकता है. लोगों का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी यहां पूजा देखने आ चुके है.