पूर्णिया: पूरे बिहार में दुर्गा पूजा की धूम दिख रही है. अष्टमी को होने वाली मां महागौरी की आराधना के साथ ही सभी पूजा पंडालों में आस्था का जनसैलाब उमड़ना शुरू हो गया है. लिहाजा, शहर के तंग ट्रैफिक और पूजा पंडालों की भीड़ से दूर ईटीवी भारत की मदद से आप महज एक क्लिक में जिले के सभी पूजा पंडालों और प्रतिमाओं का दर्शन कर सकते हैं.
कप्तानपाड़ा ग्रीनवैली पूजा पंडाल
गुलाबबाग का यह पूजा पंडाल विशेष अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है. पंडाल से लेकर लाइटिंग और मूर्तियों की बनावट सबकुछ आकर्षक और आश्चर्य का अनुभव देने वाला है. इस पूजा पंडाल को गंगा-जमुनी एकता के तर्ज पर विकसित किए जाने के साथ ही वीर शिवाजी महाराज और उनके किले का लुक दिया गया है. जहां भारतीय तिरंगा इसकी भव्यता में और भी चार-चांद लगा रहा है. इस पूजा पंडाल पर 20 लाख रुपए खर्च किए गया है. बता दें कि यहां बंगाल और बिहार संस्कृति की मिली जुली छाप दिखाई पड़ती है. इसे जिले का सबसे बेहतरीन पूजा पंडालों में गिना जा रहा है.
श्री श्री 108 दुर्गापूजा समिति खुश्कीबाग
पूर्णिया स्टेशन रोड के पास यह पूजा पंडाल हर वर्ष एक नए कांसेप्ट के लिए जाना जाता है. इस रीत को कायम रखते हुए इस बार यहां के पूजा पंडाल को बोरे और रस्सी से बनाया गया है. जितना अनोखा और खूबसूरत ये पंडाल है, उतना ही बंगाली आर्टिस्ट की ओर से तैयार की गई मां दुर्गा की प्रतिमा है. यहां आने पर सभी पूजा पंडालों की अपेक्षा एक अलग एहसास होता है. बता दें कि इस पूजा पंडाल पर कुल 7 लाख की राशि खर्च की गई है. यह पूरी तरह बंगाली संस्कृति से प्रभावित है.
रजनी चौक पूजा पंडाल
यहां पूजा पंडाल जिले के सबसे भव्य पूजा पंडालों में से एक है. इस बार इसे चेन्नई के एक मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है. इसमें एक से बढ़कर एक लाइटिंग की कारीगरी कर इसकी सुंदरता में चार-चांद लगा रहा है. वहीं, भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकल रही मां दुर्गा का अनूठा स्वरूप इस पूजा पंडाल में आकर लोगों को भव्यता का एहसास करा रहा है. इस पूजा पंडाल 10 लाख रुपए लागत से बनी है.
फोर्ड कंपनी सराय पूजा पंडाल
इस पूजा पंडाल को लायन्स क्लब की ओर से संचालन किया जाता है. यहां स्थित मां दुर्गा की प्रतिमा हर साल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है. इसे बंगाली कारीगरों की मेहनत का बेमिसाल नगीना इसी पंडाल में देखने को मिलता है. इस पूजा पंडाल में कुल 7 लाख रुपए खर्च किए गए हैं.