पूर्णियाः जरूरी नहीं कि जरूरतमंदों की मदद सिस्टम के भरोसे खड़े रहकर ही की जाए. इस बात को सच कर दिखाया है जनसरोकार की पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले ईटीवी भारत ने. यहां दिव्यांग से जुड़ी ईटीवी भारत की एक खबर के 24 घंटे बाद ही असर हुआ है. खबर को प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद एक दिव्यांग सिस्टम से परेशान दूसरे दिव्यांग की मदद को आगे आए .
24 घंटे में दिव्यांग को मिली ट्राइसाइकिल
दरअसल, ईटीवी भारत ने बीते सोमवार को सिस्टम से परेशान हो रहे एक दिव्यांग की खबर प्रमुखता से दिखाई थी. इसके बाद एक दिव्यांग ने आगे आकर परेशान दिव्यांग मो. इसराफील की मदद की. मो. इसराफील महज एक ट्राइसाइकिल के लिए 3 महीने से सिस्टम का सितम झेल रहे थे.
3 महीने से लगा रहे थे 'सिस्टम' का चक्कर
ईटीवी भारत की एक विशेष रिपोर्ट में कृत्यानंद नगर के वनभाग में रहने वाले 2 फिट के दिव्यांग मो. इसराफील ने अपनी दर्द भरी कहानी बयां की थी. उन्होंने बताया था कि किस तरह उन्हें एक ट्राइसाइकिल के लिए बार-बार एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर दौड़ाया जा रहा है. छोटे कद-काठी के 33 वर्षीय दिव्यांग मो. इसराफील को नगर निगम के उदासीन रवैये के कारण कई दिनों तक मीलों का सफर तय करना पड़ा. हैरत की बात तो ये है कि इस दौरान उनकी परेशानी देखकर नगर निगम के कर्मचारियों का तो दिल पसीजा. लेकिन एसी में बैठे अधिकारियों ने इनके लिए कुछ नहीं किया.
दिव्यांग की मदद के लिए आगे आए दिव्यांग
वहीं, ईटीवी भारत की खबर जैसे ही जिले के दिव्यांगों तक पहुंची. देखते ही देखते दिव्यांगों की बड़ी जमात इसराफील के साथ खड़ी हो गई. सिस्टम की बेरुखी के खिलाफ दिव्यांगों की प्रतिक्रियाएं और सहानुभूति का दौर शुरू हो गया. दिव्यांग इसराफील के लिए निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन रूपेश कुमार आगे आए और दरियादिली दिखाते हुए इसराफील को अपनी ट्राइसाइकिल सौंप दी.