पूर्णिया:प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु को उनकी जन्म शताब्दी वर्ष पर भारत रत्न दिए जाने की मांग तेज हो गई है. ईटीवी भारत से बात करते हुए जाने-माने साहित्यकार भोलानाथ आलोक ने कहा कि महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु को उन्होंने काफी करीब से देखा है. रेणु वही लिखते थे जिसे जीते थे. उनकी लेखनी में एक शब्द से पूरे दृश्य को दर्शाने की ताकत थी. अपनी कालजई रचनाओं की बदौलत रेणु कल भी प्रसांगिक थे और आज भी प्रासंगिक हैं.
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''जहां दूसरे रचनाकारों की कृतियों में काल्पनिक कहानियां मिलती हैं. वहीं, उन्होंने इससे अलग अपने गांव और समाज को समझकर उसे उसी तरह जीवंत लिख भी दिया करते थे. कहते हैं जहां से हिंदी साहित्य के जादूगर प्रेमचंद का अंत होता है, वहां से फणीश्वरनाथ रेणु का उदय होता है. ऐसे में हिंदी साहित्य को नूतन आयाम तक पहचान दिलाने वाले महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु को भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए''-भोलानाथ आलोक, समाजसेवी व साहित्यकार
समाज के इर्दगिर्द घूमती हैं रचनाएं
कथावाचक और साहित्यकार शिव नारायण शर्मा व्यथित का कहना है कि जिले की माटी में जन्मे रेणु जी की समस्त रचनाएं समाज के इर्दगिर्द घूमती मिलती हैं. उनकी रचनाओं में समाज का दर्द है, तो सामान्य जनजीवन की पीड़ा भी है. इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता और यही उन्हें आज के संदर्भ में प्रासंगिक बनाए हुए है. इसके साथ ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी उनकी कृतियों ने मशाल का काम किया. लिहाजा उनकी शताब्दी वर्ष पर भारत रत्न से सम्मानित कर एक नई परंपरा की शुरुआत की जानी चाहिए.