पूर्णिया: जिले के सभी छठ घाटों पर छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पण किया. इस दौरान सभी 36 छठ घाटों पर आस्था का अदभुत नजारा दिखा. सभी छठव्रतियों ने हाथों में फलों से भरा सूप लेकर जल में उतरकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया.
श्रद्धा के सूप लिए छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
छठ व्रतियों ने हाथों में सूप लेकर सूर्य की परिक्रमा की. इसके बाद हजारों छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया. वहीं छठ व्रतियों के साथ मिलकर पारिवारिक सदस्यों ने भगवान भास्कर को दूध अर्पित किया.
छठ की मची चारों ओर धूम
जिले में अर्घ्य देने से पहले दोपहर में ही लोग छठ व्रतियों के साथ माथे पर टोकरी लादे छठ घाटों तक पहुंच गए. इसके बाद सभी छठ व्रतियों ने पानी में उतरना शुरू कर दिया. इस दौरान सभी गलियों और सड़कों को साफ-सुथरा कर दिया गया. मुहल्ले से लेकर छठ घाटों तक पहुंचने वाली सभी सड़कें रंगीले झालरों से दमकते नजर आए. जगह-जगह लगे साउंड बॉक्स पर कहीं शारदा सिन्हा तो कहीं अनुराधा पॉडवाल के लोक गीत से शहर गुजयमान दिखा. छठ व्रतियों ने हाथों में सुप लेकर सूर्य की परिक्रमा की. इसके बाद हजारों छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया. वहीं छठ व्रतियों के साथ मिलकर पारिवारिक सदस्यों ने भगवान भास्कर को दूध अर्पण किया.
'पौराणिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व का है छठ पर्व'
पंचमुखी मंदिर के पंडित प्रमोद कुमार झा ने बताया कि छठ पर्व पवित्रता, सात्विकता और लोकआस्था का पर्व है. उन्होंने कहा कि सूर्य की उपासना को विज्ञान भी फलदायक बताती है. लिहाजा छठ महापर्व का आस्था के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्व है. वहीं छठ घाट आए श्रद्धालु विमल राय ने बताया छठ की छाप देश-दुनिया पर पड़ी है. अब कई लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं.