पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया (Purnia) के एक होटल से दो शातिर मेडिकल कॉलेज (Medical College) में दाखिले के नाम पर धोखाधड़ी का धंधा चला रहे थे. फर्जी दाखिले के बदले 36 लाख रुपए ऐंठने के मामले में भोपाल से आई एसटीएफ (STF) की टीम ने दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया. एसटीएफ के साथ पूर्णिया पुलिस की टीम भी मौजूद थी.
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दोनों युवकों को भट्ठा बाजार स्थित एक निजी होटल से गिरफ्तार किया गया. भोपाल एसटीएफ की टीम ने मध्य प्रदेश के रीवा जिला के मऊगंज निवासी विवेक कुमार मिश्र और उनके पिता जीवन लाल मिश्र के आवेदन पर कार्रवाई की. मेडिकल कॉलेज में दाखिले का फर्जी खेल चलाने वाला एक ठग पटना सिटी के जलालपुर निवासी संदीप कुमार करवारिया है. वहीं, दूसरा युवक मधुबनी जिला के नवरत्न कॉलोनी निवासी दीपक कुमार सिंह है.
छापेमारी के बाद दोनों ठगों को पूर्णिया सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया. इसके बाद न्यायालय ने दोनों को पांच दिन के ट्रांजिट रिमांड पर भोपाल एसटीएफ की टीम को सौंप दिया. एसटीएफ की टीम दोनों को लेकर भोपाल के लिए रवाना हो गई.
पुलिस सूत्रों के अनुसार रीवा जिला के मऊगंज निवासी विवेक कुमार मिश्र ने रीवा एसपी को आवेदन देकर गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल (Gandhi Medical College, Bhopal) और लोकमान्य मेडिकल कॉलेज साउथ मुंबई (Lokmanya Medical College South Mumbai) में बेटे प्रतीक का एडमिशन कराने के नाम पर संदीप करवारिया, देवराज मिश्र, चौहान पाटील और राकेश वर्मा पर 36 लाख रुपए की ठगी का आरोप लगाया था.
आवेदन में बताया गया था कि चारों आरोपियों द्वारा मेडिकल कॉलेज में प्रतीक मिश्र का एडमिशन कराने के नाम पर 36 लाख रुपए की मांग की गई थी. विवेक कुमार मिश्र ने 3 किस्त में 34 लाख रुपए दिल्ली आकर देवराज मिश्र, संदीप करवारिया और चौहान पाटील को दिया था. पहली किस्त में 12 लाख, दूसरी किस्त में 15 लाख और तीसरी किस्त में 7 लाख रुपये दिए गए.
34 लाख देने के बाद कुछ दिन में ही इन लोगों द्वारा प्रतीक मिश्र का एडमिशन हो जाने का मोबाइल पर मैसेज भी भेजा गया. इसके बाद बाकी बचे 2 लाख रुपए भी इन लोगों ने वसूल लिए. पीड़ित ने जब गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल और लोकमान्य मेडिकल कॉलेज, मुंबई से एडमिशन के बारे में जानकारी ली तो ठगी से पर्दा उठा. कॉलेज प्रबंधन ने इस नाम से एडमिशन होने से इनकार किया. इसके बाद विवेक कुमार मिश्र ने रीवा एसपी को आवेदन दिया. रीवा एसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भोपाल एसटीएफ के पास केस ट्रांसफर कर दिया. मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल एसटीएफ की स्पेशल टीम गठित की गई थी.
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