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पूर्णिया: अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा इंदिरा गांधी स्टेडियम, 60 लाख की लागत से हुआ था निर्माण

पूर्णिया के इंदिरा गांधी स्टेडियम की स्थिति काफी दयनीय है. चुनाव के समय जब्त किए वाहनों को रखने में इनका प्रयोग किया जाता रहा है. वहीं कोरोना काल में इसे वाहन कोषांग सेंटर में बदल दिया गया.

Indira Gandhi Stadium
Indira Gandhi Stadium

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Published : Dec 10, 2020, 5:54 PM IST

पूर्णिया:साल 1989 में 60 लाख की लागत से बना इंदिरा गांधी स्टेडियम प्रशासनिक उदासीनता के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. खेल से जुड़ी प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बना स्टेडियम खेल के बजाए राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यक्रमों की स्थली भर बनकर रह गया है.

दर्शकों की क्षमता 35 हजार
स्टेडियम की स्थिति इतनी दयनीय है कि एक लाख वर्गमीटर में फैला 35 हजार दर्शकों की क्षमता वाले इस ग्राउंड पर खेल से जुड़े आयोजन या पीच पर प्रैक्टिस करना तो बहुत दूर, दो गज चलना भी जोखिम भरा है. दरअसल 27 जनवरी 1989 में स्थापित किए गए इंदिरा गांधी स्टेडियम का शिलान्यास तब के राज्यपाल डॉ. एआर किदवई और मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद ने संयुक्त रूप से किया था.

60 लाख की लागत से निर्माण
सीमांचल और कोसी में खेल और खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक दिया जा सके, इस उद्देश्य से इस केंद्र बिंदु में 60 लाख की लागत से स्टेडियम का निर्माण कराया गया था. लेकिन बेहद अफसोस की बात है कि जिन उद्देश्यों को लेकर इस स्टेडियम की नींव रखी गई थी, प्रशासनिक उदासीनता के कारण अपने उन उद्देश्यों को पूरा करने में आज यह स्टेडियम पूरी तरह विफल रहा है.

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देखें पूरी रिपोर्ट

प्रशासनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग
स्थानीय खिलाड़ी कहते हैं कि स्टेडियम की स्थापना का उद्देश्य कोसी और सीमांचल के खेल से जुड़े प्रतिभाओं को राष्ट्रीय फलक तक पहुंचाना था. लेकिन शुरुआत से लेकर अब तक यह स्टेडियम महज प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यक्रमों की स्थली बनकर रह गया है. कोरोना काल में इसे वाहन कोषांग सेंटर में बदल दिया गया. तो वहीं चुनाव के समय जब्त किए वाहनों को रखने में इनका प्रयोग किया जाता रहा. इससे पहले इस स्टेडियम को राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है.

स्टेडियम की हालत जर्जर
सीएम नीतीश कुमार की हवाई यात्रा की लैंडिंग के लिए भी इंदिरा गांधी स्टेडियम का ही प्रयोग किया जाता रहा है. स्थानीय ट्रेनर कहते हैं कि स्टेडियम की हालत इतनी बदतर है कि यहां खेलना या प्रैक्टिस करना तो दूर पैदल चलना भी जोखिम भरा है. प्रशासनिक कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर प्रयोग में लाए गए स्टेडियम की हालत बेहद जर्जर है.

स्टेडियम में कई गड्ढे
जगह-जगह गड्ढे और ईंट और गिट्टियां बिखरी पड़ी हैं. जिसकी वजह से मॉर्निंग वॉक के लिए भी अब लोग यहां नहीं आते हैं. हैरत की बात है कि इसी जिले से कृष्ण कुमार ऋषि बीते टर्म में कला, संस्कृति, खेल और युवा विभाग के मंत्री रहे. लेकिन बीते 5 सालों में वायदे ही किए जाते रहे. इसके कायाकल्प की ओर किसी का ध्यान नहीं गया. जिसकी वजह से खेल आयोजनों को भी एक लंबा वक्त बीतने को है.

शौचालय में गंदगी का अंबार
जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतम वर्मा कहते हैं कि पटना से करीब 400 किलोमीटर की लंबी दूरी होने के कारण इस स्टेडियम की अपनी महत्ता है. लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह स्टेडियम अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता दिखाई दे रहा है. स्टेडियम के मेंटेनेंस और खेल से जुड़े संसाधनों की व्यवस्था तो बहुत दूर की बात है. खिलाड़ियों के लिए बनाए गए शुलभ शौचालय में गंदगी का अंबार है. जिसकी वजह से यह शौचालय प्रयोग में नहीं है.

क्या कहते हैं अधिकारी
इस बाबत खेल पदाधिकारी रणधीर कुमार के अस्वस्थ्य होने के कारण प्रभारी खेल पदाधिकारी ने फोन पर बताया कि स्टेडियम की साफ-सफाई को लेकर नगर निगम को सूचित किया गया है. एक सप्ताह के अंदर स्टेडियम की सफाई पूरी करा ली जाएगी.

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