पूर्णिया:तीसरे चरण के विधानसभा सीटों के लिए चुनाव-प्रचार जोरों पर है. एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी मंगलवार को प्रत्याशी सह प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के समर्थन में सियासी ताकत झोंकने अमौर विधानसभा क्षेत्र पहुंचे. यहां हलालपुर स्थित ग्राउंड में विशाल चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला.
'सीमांचल सहित अमौर के विकास के लिए एआईएमआईएम बिहार के चुनावी मैदान में आई है. सीमांचल का विकास यहां के जनप्रतिनिधियों के कारण नहीं हुआ. सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ सहित अन्य साधन नहीं होने से आज भी यह इलाका पिछड़ा है. रोजगार के अवसर नहीं रहने के कारण यहां के लोग दूसरे प्रदेशों में कमाने जाते हैं'. असदुद्दीन ओवैसी, राष्ट्रीय अध्यक्ष एआईएमआईएम
असदुद्दीन ओवैसी ने सभा को संबोधित किया. अमौर में ओवैसी की हुंकार
'अमौर के वर्तमान विधायक को पूरे कार्यकाल के दौरान जब भी किसी जनता ने फोन किया, तो उनका मोबाइल कवरेज एरिया के बाहर बताता था. अब वो आपको फोन करेंगे मगर आपकी जिम्मेदारी बनती हैं कि आप उसे बताए के जिस नंबर पर विधायक फोन कर रहे हैं वो एआईएमआईएम पार्टी के उम्मीदवार को जिताने में व्यस्त हैं. लॉकडाउन के दौरान क्या हुआ, हमे भूलना नहीं चाहिए. नीतीश कुमार ने बिहार से बाहर रहने वाले बिहारियों का अपमान किया. उन्हेंं बिहार में प्रवेश तक नहीं करने दिया गया.
विकास से कोसों दूर है अमौर
'पिछले विधानसभा चुनाव में यहां के लोगों ने भाजपा के खिलाफ नीतीश को वोट दिया और वो अभी मोदी के गोद में बैठ गए हैं. क्या यह जनसमर्थन का अपमान नहीं है. अमौर विधानसभा के लोगों का बाढ़ के कारण जब कटाव की वजह से घर नदी में समाने लगा, ऐसे में कटाव पीड़ित जब विधायक अब्दुल जलील मस्तान के पास पहुंचे, तो सत्ता के नशे में चूर एमएलए ने कटान को धसान बताकर पलड़ा झाड़ लिया. इसी धसान का जवाब लोगों को अब इस इलेक्शन में देना है.
बढ़ी कांग्रेस राजद और जदयू की चिंता
बता दें कि एआईएमआईएम, बसपा, रालोसपा और अन्य दलों को मिलाकर बने मोर्चा ने बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को बनाया है. जिनके पक्ष में असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल के लोगों से वोट की अपील कर रहे हैं. गौरतलब है कि सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है. यहां मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही है. लेकिन कांग्रेस की चिंता एआईएमआईएम को लेकर बढ़ गई है. इसके साथ ही राजद और जदयू भी चिंता में बढ़ी है. क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी दोनों ही दलों के खिलाफ आक्रामक दिख रहे हैं.