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मिथिलांचल के 'मखाना' की है अलग पहचान, स्टार्ट अप के जरिए युवा दे रहे हैं 'नई जान'

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Published : Nov 17, 2019, 7:06 AM IST

देखने में सफेद फूलों के ढेर सा लगने वाला बेहद लजीज और स्वाद में अनोखा यह फल मखाना है. बिहार के मिथिलांचल में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है. इसकी खेती और तैयार फसल को निकालने तक किसानों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है.

अमन वर्णवाल

पूर्णिया: बिहार का मखाना पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है. मखाने का व्यवसाय और खेती दोनों में बेहतरीन रोजगार के अवसर हैं. हालांकि बिहार में अभी भी परंपरागत खेती का चलन ज्यादा है. लेकिन, अब युवा पीढ़ी नई तकनीक से बिहार के मखाना को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान देने में जुटा है. पूर्णिया के अमन वर्णवाल ने भी इस राह पर चलते हुए मखाना को अपना स्टार्ट अप बनाया है.

देश के 500 बेस्ट स्टार्टअप में शामिल अमन की पहल
अमन वर्णवाल अपनी अनूठी सोच से किसानों के मखाना समेत दूसरे प्रोडक्ट्स को बतौर स्नैक्स नेशनल और इंटरनेशनल प्लेटफार्म तक पहुंचाने की पहल कर रहे हैं. उनकी कोशिशे अब रंग लाने लगी है.. अमन का यह स्टार्टअप देश के 500 बेस्ट स्टार्टअप में शामिल किया गया है. 21 दिसंबर को दिल्ली में एक प्रतिष्ठित कंपनी उन्हें लोकल एग्रीकल्चर को ग्लोबल प्लेटफॉर्म तक पहुंचाने के सम्मानित करेगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नकदी फसल है मखाना
देखने में सफेद फूलों के ढेर सा लगने वाला बेहद लजीज और स्वाद में अनोखा यह फल मखाना है. बिहार के मिथिलांचल में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है. इसकी खेती और तैयार फसल को निकालने तक किसानों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. हालांकि किसानों के लिए ये नकदी फसल है और दाम भी हाथों हाथ मिल जाता है.

मखाने की फसल तैयार करते कर्मी

बेटे की कामयाबी पर परिवार भी खुश
अमन के मखाना खेती के स्टार्ट अप को लेकर उनके परिवार के लोग भी उसके साथ खड़े हो रहे हैं और अपने बेटे की इस कामयाबी पर पिता विजयकर्ण वर्णवाल भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि शुरुआत में जब जॉब छोड़कर स्टार्ट अप की बात की तब थोड़ी हिचक हुई, लेकिन मेहनत रंग लाने पर अब बेटे की कामयाबी पर खुशी महसूस हो रही है.

अपने परिवार के साथ अमन वर्णवाल

सरकार से पहल की मांग कर रहे किसान
वहीं मखाने की खेती करने वाले वहां के किसानों में भी अमन की पहल अब नई सोंच विकसित कर रही है. हालांकि मखाना की कीमत को लेकर किसानों का मानना है कि जो लागत और मेहनत के अनुसार दाम नहीं मिल रहा है. इस ओर सरकार से पहल की मांग भी उठ रही है.

मखाने का फल

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