पूर्णिया :गुरुवार को स्पेशल ट्रेनों के जरिए महाराष्ट्र और गुजरात में फंसे स्टूडेंट्स और श्रमिक पूर्णिया पहुंचे. लॉकडाउन के बाद से गुजरात और महाराष्ट्र में फंसे 2500 प्रवासी बिहारी देर रात पूर्णिया जंक्शन पहुंचे. पूर्णिया पंहुचे स्टूडेंट्स और श्रमिकों ने आप बीती बताए हुए अपने कड़वे अनुभव साझा किए. मुश्किल समय से उबारकर अपनों के बीच पहुंचाने और उम्दा इन्तजामों के लिए सीएम और जिला प्रशासन को शुक्रिया अदा किया.
देर रात पूर्णिया पहुंची स्पेशल ट्रेनें
बिहार के 32 जिलों के तकरीबन 2400 स्टूडेंट्स और श्रमिक के लिए गुजरात के सूरत से चली ट्रेन तकरीबन 12 घण्टें की देरी से रात 8:02 मिनट पर पूर्णिया जंक्शन पहुंची. तो वहीं महाराष्ट्र के नंदुरबार से चली स्पेशल ट्रेन भी तकरीबन इतनी ही देरी के साथ देर रात पूर्णिया जंक्शन पहुंची. गुजरात और महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों फंसे स्टूडेंट्स और श्रमिक पूर्णिया पंहुचते ही खुशी से खिल उठे. इस बाबत मीडिया से बात करते हुए घर वापसी कर रहे स्टूडेंट्स और श्रमिकों ने लॉकडाउन के बाद के अपने कड़वे अनुभव साझा किए.
लॉकडाउन के बाद भूखे कटी कई रातें
पूर्णिया जंक्शन से बसों के जरिए गृह जिलों के लिए वापसी कर रहे स्टूडेंट्स और श्रमिक ने कहा कि लॉकडाउन में बिहार से बाहर गैर प्रदेश में बुरी तरह फंसे होने ने अहसास कराया कि चार पैसे कम मिलें वह सही, मगर आगे अन्य प्रदेश जाने की कभी भूल से भी वे नहीं सोचेंगे. प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद सारे काम-धंधे ठप हो गए. आधे पेमेंट देकर कंपनी ने लॉकडाउन का हवाला देकर पलड़ा झार लिया. वहीं इसके बाद लॉकडाउन बढ़ता गया. धीरे-धीरे बची-कूची जमाकुंजी पूरी तरह खत्म हो गई. राशन और भोजन तक जुटाना कठिन था. वहीं, स्टूडेंट्स ने बताया कि बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी थी. लिहाजा कई ऐसी रातें और कई ऐसे दिन बीते जब अन्न का एक टुकड़ा तक नसीब नहीं हुआ.
पानी के बॉटल तक की नहीं थी कोई व्यवस्था
गुजरात और महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों ने अपने कड़वे अनुभव साझा करते हुए बताया कि सूरत और महाराष्ट्र में ट्रेन खुलने से पहले घण्टों स्टेशन पर खड़ी रही. लेकिन न ही खाने और न नाश्ते के पैकेट का कोई प्रबंध था. हैरत की बात रही इस लंबे सफर में ट्रेन कई स्टेशन पर रुकी मगर कहीं कोई भोजन का प्रबंध नहीं था. समय से पहुंचने वाली ट्रेन को जगह-जगह रुकते हुए 12 घण्टें की लेटलतीफी से पूर्णिया पहुंची. बावजूद इसके कहीं एक पानी का बॉटल तक नहीं पूछा गया. व्यवस्थाएं बहुत खराब थी. आलम यह था कि घर पंहुचने की बेबसी थी लिहाजा किसी तरह टिकट के लिए पैसे जुटाए गए. जिसपर 650-700 के बीच का फेयर आया. हालांकि सरकार की ओर से ये रुपए वापस लौटा दिए जाने की बात सामने आई है.
बिहार की व्यवस्थाएं देख खुशी से खिल उठे प्रवासियों के चेहरे
हालांकि पूर्णिया जंक्शन पर सरकार की ओर से किए गए इन्तजाम और सहज व्यवस्थाएं देखकर अब तक मुरझाए चेहरे खुशी से खिल उठें. लंबे सफर के बाद पूर्णिया जंक्शन उतरे स्टूडेंट्स और श्रमिकों ने बताया कि जिस प्रकार प्रदेशों में गैरों जैसा सुलूक हुआ. वे अब कभी लौटकर बिहार से बाहर नहीं जाएंगे. वहीं, सीएम की ओर से प्रशासनिक अमले ने जिस खूबसूरती से निबंधन और जांच समेत बाकी व्यवस्थाएं कर रखी थी. वह काबिले तारीफ है. मिनटों में सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई. तैनात पुलिस, अधिकारी और जांच कर्मियों ने इन प्रक्रियाओं को पूरा कराने में भरपूर सहयोग किया. साथ ही बेहतर नाश्ते के इंतजाम भी थे.
अद्भत इन्तजामों के लिए सीएम को कहा शुक्रिया
लौटते हुए नाश्ते के पैकेट दिए गए. पैकेट में तीन प्रकार के ताजे फल, बिस्किट, भुजिया, लिट्टी समेत, मास्क और साबुन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई. इसके साथ ही स्टेशन से बाहर निकलकर हमें घण्टों बस खोजने के लिए भटकना न पड़े लिहाजा डिप्यूटेड पुलिस और बाकी कर्मियों ने स्टेशन से गृह जिले तक पहुंचाने के लिए लगी बसों तक पहुंचाया गया. यह एक अद्भुत और खूबसूरत लम्हों में से एक था. ऐसे सहज इन्तजाम के लिए हम सभी सीएम नीतीश कुमार का शुक्रगुजार रहेंगे.