पूर्णियाः जिले के विभिन्न स्थानों पर गुरुवार को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 123वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर लोगों ने नेताजी को याद करते हुए, उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पण किया. वहीं, उनकी जयंती के मौके पर स्कूली बच्चों के साथ ही बंगाली समाज के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
123वीं जयंती पर याद किए गए नेताजी सुभाषचंद्र बोस
शहर के कई स्थानों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. हर साल की तरह इस बार भी दुर्गाबाड़ी भट्टा स्थित नेताजी चौक पर रामकृष्ण मठ और बंगाली समाज के लोगों ने बड़े ही धूमधाम से सुभाष चंद्र बोस की 123वीं जयंती मनाई. जिसमें बेलूर मठ के आचार्य शिरकत करने पहुंचे. बेलूर मठ के आचार्य ने कार्यक्रम की शुरुआत नेताजी सुभाषचंद्र बोस की तस्वीर को फूलों का हार पहनाकर किया. जिसके बाद आचार्य ने झंडोत्तोलन कर तिरंगे को सलामी दी.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस को माला पहनाते आचार्य विभिन्न संगठनों ने मनाई नेताजी की जयंती
वहीं, बच्चों के साथ ही बंगाली समाज के लोग भी बड़ी संख्या में उनकी जयंती मनाने पहुंचे. लोगों ने पटाखा जलाकर नेताजी की जयंती मनाई. झंडा चौक, मधुबनी, रजनी चौक और लाइन बाजार चौक पर भी अलग-अलग संगठनों ने नेताजी की जयंती मनाई और पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया.
बोले आचार्य- देश को नहीं मिली मानवीय आजादी
इस मौके पर बेलूर मठ के आचार्य स्वामी शशांकानंद ने कहा कि आज समूचा देश नेताजी सुभाषचंद्र बोस को उनकी जयंती पर याद कर रहा है. नेताजी ने भारत की आजादी के लिए संघर्ष करते हुए 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का नारा दिया. आजाद हिंद फौज की ताकत देख दुनिया ने तब हिंदुस्तान की सैन्यशक्ति का लोहा माना. उन्होंने कहा कि आज हमारा देश कहने को तो राजनीतिक रूप से आजाद है, लेकिन मानवीय तौर पर आज भी भारत को आजादी नहीं मिल सकी है. देश गरीबी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार के जंजीरों में जकड़ा है. ऐसे में अब एक ऐसे सुभाष चंद्र बोस की जरूरत है, जो इस भारत को इन दुष्प्रवृत्तियों से आजाद कर सके.