पटना: बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में कई मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों की राजनीति हो रही है लेकिन पलायन और बेरोजगारी का मुद्दा सभी मुद्दों पर भारी है. विशेष रूप से विधानसभा चुनाव में जैसे ही राष्ट्रीय जनता दल ने 10 लाख रोजगार देने की घोषणा की तो बिहार विधानसभा चुनाव का मुद्दा तय हो गया. क्योंकि इस सरकारी 10 लाख रोजगार के चुनावी वायदे ने कहीं ना कहीं युवाओं के असली दर्द को सामने ला दिया.
बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं युवा
पटना में किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे ऐसे ही युवक साहिल ने बताया कि किस तरह वह महामारी की वजह से मुंबई में अपना जॉब छोड़कर पटना आ गया. लेकिन यहां उसका गुजारा नहीं हो पा रहा. उन्होंने कहा कि जिस सरकार के भरोसे यहां आए थे, उसने ना तो नौकरी की व्यवस्था की और ना ही ट्रेन की व्यवस्था की. ऐसे सरकार की क्या जरूरत. ऐसे लाखों लोग हैं जो बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.
आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी की दर
- बिहार में बेरोजगारी की दर करीब 40 फीसदी से भी ज्यादा.
- स्थायी रोजगार के मामले में राष्ट्रीय औसत करीब 24 फीसदी.
- वहीं बिहार स्थायी रोजगार के मामले में महज 10 फीसदी पर.