पटना:बिहार केमुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने मंगलवार को प्रदेश में चल रहे शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठक (Review Meeting On liquor Ban) की. सीएम ने शराबबंदी के कानूनों का गंभीरता से पालन कराने का निर्देश दियाा. मुख्यमंत्री ने सभी थानेदारों को अपने इलाके में शराबबंदी को लेकर सख्ती बरतने का निर्देश दिया है. ईटीवी भारत ने शराबबंदी को लेकर युवाओं की राय जानने की कोशिश की है.
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शराबबंदी के मुद्दे पर युवाओं का कहना है कि इस कानून को सही तरीके से आजतक प्रदेश में लागू नहीं किया जा सका है. वहीं अब युवा सीएम से रोजगार के मुद्दे पर समीक्षा बैठक करने की मांग करने लगे हैं. युवाओं का कहना है कि साल 2019 में 19 लाख रोजगार (19 lakh Rojgar Promise By BJP) के मुद्दे पर चुनाव लड़ा गया था, लेकिन रोजगार (Employment) नहीं मिला. नीतीश सरकार से युवा इस मुद्दे पर जल्द समीक्षा बैठक करने की मांग कर रहे हैं.
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शराबबंदी को लेकर हुई समीक्षा बैठक के बाद प्रदेश के युवाओं की राय मिली जुली है. युवतियां जहां खुले तौर पर पुरजोर तरीके से शराबबंदी को सही ठहरा रही हैं और समीक्षा बैठक से असर होने की उम्मीद जता रही हैं, वहीं युवकों में इसको लेकर अलग-अलग राय दिख रही है. कुछ युवकों का कहना है कि शराबबंदी को लेकर हुई समीक्षा बैठक का असर होगा लेकिन कुछ युवकों का कहना है कि इसका कोई असर नहीं होगा और यह सिर्फ आई वॉश है.
प्रेरणा ने बताया कि शराबबंदी का असर सरकार को खुद देखना होगा और शराबबंदी कानून सख्ती से पालन किया जाए, यह सरकार को सुनिश्चित करना होगा. तभी शराबबंदी सफल हो सकेगी
"मुख्यमंत्री शराबबंदी के अलावा अन्य चीजों पर भी ध्यान दें, जैसे कि युवाओं में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और रोजगार का मुद्दा प्रमुख है. रोजगार देने को लेकर सरकार का क्या रवैया है, इसको लेकर भी एक समीक्षा बैठक होनी चाहिए."- प्रेरणा
एक अन्य युवक मनीष कुमार का कहना है कि शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक की है. उम्मीद है कि इसका असर भी देखने को मिलेगा. शराबबंदी कानून कुछ सफल है तो कुछ असफल भी है.
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी खुले तौर पर शराब मिल रही है. मुख्यमंत्री को शराबबंदी के अलावा रोजगार, शिक्षा और लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर भी समीक्षा बैठक करने की आवश्यकता है.-मनीष कुमार
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अभिषेक कुमार ने बताया कि उन्हें नहीं लगता है कि इस समीक्षा बैठक का असर होगा. अभिषेक ने बताया कि शराब के गोरखधंधे में सरकार और सत्तारूढ़ दल के लोग शामिल हैं. हाल ही में कई घटनाएं सामने आईं, जिसमें सत्तारूढ़ दल के सिंबल लगे गाड़ियों से शराब की सप्लाई हो रही थी.
"समीक्षा बैठक का कोई असर नहीं होगा क्योंकि जो शराब पीने वाले हैं वह मानेंगे नहीं. प्रदेश में अधिकारियों की मनमानी बढ़ गई है. ऐसे में सरकार को अधिकारियों की मनमानी को लेकर समीक्षा बैठक करनी चाहिए."- अभिषेक कुमार
वहीं राहुल कुमार का कहना है कि नहीं लगता है कि इस समीक्षा बैठक का असर होगा, क्योंकि शराब की होम डिलीवरी हो रही है. एक फोन करने पर लोग घर पर शराब पहुंचा रहे हैं. सचिवालय रोड पर शराब की बोतलें मिल रही हैं, ऐसे में साफ है कि शराबबंदी के बावजूद धड़ल्ले से शराब बिक रही है. उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री को समीक्षा करने की जरूरत है.
इधर निशिता झा का मानना है कि मुख्यमंत्री ने जो शराबबंदी को लेकर जो भी काम किया है उसका असर दिख रहा है और वह इसकी काफी सराहना करती हैं. मुख्यमंत्री का शराबबंदी एक सराहनीय प्रयास रहा है. लेकिन वह चाहती है कि मुख्यमंत्री प्रदेश में युवाओं के रोजगार को लेकर भी कुछ सोचे. पिछले साल से लॉकडाउन के बाद काफी लोग बेरोजगार (Unemployment In Bihar) हो गए हैं. उसके बाद से बेरोजगारी और अधिक बढ़ गई है. ऐसे में रोजगार को लेकर काम करने की काफी आवश्यकता है.
गौरतलब है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक 3 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. 55 लाख लीटर देसी शराब और 100 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई है. 700 से ज्यादा पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई, 400 से अधिक सरकारी कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. वहीं 200 से अधिक की बर्खास्तगी और 60 से अधिक थानाध्यक्षों को शराब मामले की वजह से हटाया जा चुका है लेकिन सबके बावजूद 2021 की बात करें तो अब तक जहरीली शराब से पीकर मरने वालों की संख्या 100 से अधिक हो चुकी है.