पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. पटना में कोरोना मरीजों की संख्या सबसे अधिक है. राजधानी में ही ऐसे कई सरकारी अस्पताल हैं. जहां ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में पटना के किदवईपूरी इलाके में रहने वाले गौरव सिन्हा कोरोना वायरस और सांस की बीमारी से जूझ रहे अन्य पेशेंट्स को फ्री ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करा रहे हैं.
'लोग मदद को बढ़ा रहे हाथ'
गौरव सिन्हा ने बताया कि उन्हें बीमारों को फ्री ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराने का आइडिया उस घटना के बाद आया जब ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने के कारण पीएमसीएच में उनकी जान जाते-जाते रह गई थी. उन्होंने बताया कि उनके दोस्तों ने पीएमसीएच पहुंच किसी तरह ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की थी. इस घटना के बाद उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिलने के कारण लोगों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
गौरव ने बताया कि पीएमसीएच से ठीक होकर घर वापस आने के बाद उन्होंने ठान लिया था कि जहां तक संभव होगा वे ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में किसी मरीज की मौत नहीं होने देंगे. इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की. जिसके बाद उनके दोस्त मदद करते गए और राह आसान होती चली गई.
'विदेश से उनको दोस्त कर रहे आर्थिक मदद'
गौरव ने बताया कि इस नेक काम में आर्थिक रूप से संपन्न लोग उनकी मदद कर रहे हैं. इस वक्त उन्होंने 20 ऑक्सीजन सिलेंडर जमा कर लिया है और अभी भी ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए उनके साथी सहयोगी उन्हें आर्थिक मदद कर रहे हैं. शुरुआती दौर में उन्होंने खुद के जमा पैसे से 5 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदा था. इसके बाद विदेश में रह रहे उनके मित्र ने उनकी आर्थिक मदद की. उन्होंने बताया कि 'मेरा उद्देश्य है कि लोग कोरोना संक्रमण के कारण किसी मरीज की ऑक्सीजन के अभाव में मौत नहीं हो. इसके लिए वे लगातार काम कर रहे हैं. इस काम में उनकी मदद उनके परिवार और उनके जान-पहचान के मित्र के अलावा कई अन्य लोग भी कर रहे हैं.
फ्री ऑक्सीजन सिलेंडर बांटने वाले शख्स गौरव सिन्हा बिहार में बढ़ रहा संक्रमण
गौरतलब है कि बिहार में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. रविवार तक संक्रमण के मामले ने 36 हजार की संख्या को पार कर लिया था. जबकि 232 लोगों की मौत भी हो चुकी है. वहीं, बात अगर पूरे देश की करें तो यहां संक्रमण का आंकड़ा 13 लाख की संख्या को पार कर चुका है. वहीं, 31 हजार से ज्यादा लोगों काल के गाल में समा चुके हैं.