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युवा वोटर तय करेंगे राजनीतिक दलों के भविष्य, रोजगार बना चुनावी मुद्दा

बिहार के राजनीतिक इतिहास पर नजर डाले तों यहां जाति चुनावों में अहम फैक्टर रही है. लेकिन इस बार का चुनाव अन्य चुनावों से अगल दिख रहा है. जहां रोजगार सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. अब दो बड़ी पार्टियों के बीच इसी मुद्दे पर घमासान मचा है. ऐसा लगता है कि इस बार बिहार के बेरोजगार ही नेताओं की किस्मत का आखिरी फैसला करेंगे.

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Published : Oct 23, 2020, 2:39 PM IST

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पटनाः बिहार में मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है. विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने शतरंज की बिसात पर मुहरे चलाने शुरू कर दिए हैं. इस बार राजनीतिक दलों ने रोजगार कार्ड खेला है. अब युवा वोटर ही राजनीतिक दलों का भविष्य तय करेंगे.

तेजस्वी ने बदले चुनाव के नरेटिव
बिहार में चुनाव जातिगत आधार पर होते थे. राजनीतिक दल जातिगत वोट बैंक साधने के लिए एक्सरसाइज किया करते थे. लेकिन इस बार फिजा बदली हुई है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव के नरेटिव को ही बदल दिया. अब रोजगार चुनावी मुद्दा बन चुका है. बिहार में डेढ़ करोड़ से ज्यादा युवा वोटर हैं. इसके अलावा 18 से 22 साल के बीच 32 लाख वोटर हैं, इस बार राजनीतिक दलों की नजर युवा वोटरों पर है.

10 लाख नौकरी बनाम 19 लाख रोजगार
युवाओं को लुभाने के लिए आरजेडी के बाद बीजेपी ने भी कमर कस ली है. नेता तेजस्वी यादव ने जहां 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है. वहीं, भाजपा ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही है.

इस बात को लेकर ही सवाल उठने लगे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार देने के लिए संसाधन कहां से आएंगे. आरजेडी की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि जरूरत पड़ी तो शराब बंदी कानून हटाया जा सकता है.

प्रेमचंद्र मिश्रा, विधान पार्षद

32 लाख युवा वोटरों पर दारोमदार
रोजगार को लेकर बीजेपी के सुर बदल गए हैं. उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी 2 दिन पहले यह कह रहे थे कि 10,00000 लोगों को सरकारी नौकरी देने के लिए 56 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे, संसाधन कहां से आएगा. अब बीजेपी नेताओं का कहना है कि बिहार के 19 लाख युवाओं को हम रोजगार देंगे.

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन के जरिए युवाओं को रोजगार देंगे और बिहार को आत्मनिर्भर बनाएंगे.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

झूठ की खेती करती है बीजेपी
वहीं, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि बीजेपी झूठ की खेती करती है. पहले ही युवाओं को रोजगार देने के वादे किए गए थे, जो जुमला साबित हुआ. एक बार फिर बिहार के युवाओं को ठगने की कोशिश की जा रही है.

राजद नेता और पार्टी उपाध्यक्ष तमन्ना कहते हैं सरकार योजना पहले बनाती है और संसाधन का इंतजाम बाद में किया जाता है. अगर रोजगार देने के वायदे किए हैं तो हमारे पास रोड मैप है.

प्रेमचंद्र मिश्रा, विधान पार्षद

'सब कुछ सरकार की इच्छाशक्ति पर होता है'
इस सिलसिले में अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि सरकार की इच्छाशक्ति अगर हो जाए तो लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. संसाधन जनरेट करना सरकार का काम होता है और बेहतर वित्तीय प्रबंधन से ऐसा किया जा सकता है.

डीएम दिवाकर, अर्थशास्त्री

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