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आप जानते हैं, फरक्का बांध और बराज डूबोते हैं बिहार ?

बिहार में बाढ़ की वजह से हर साल बर्बादी होती है. इसकी वजह अलग अलग हैं. फरक्का बांध को एक बड़ी वजह बताई जा रही है. तो वहीं नेपाल में हो रही बारिश और गंडक बराज से छोड़े गए पानी को भी बाढ़ की वजहों में गिनाया जाता है. पढ़ें रिपोर्ट-

flood in bihar
बिहार में बाढ़

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Published : Aug 27, 2021, 11:07 PM IST

पटना:बिहार में हर बार बाढ़ (Flood in Bihar)आती है. नदियां हर साल तबाही लातीं है. उत्तर बिहार की पहाड़ी नदियां नेपाल(Nepal) के पानी छोड़े जाने से उफान मारने लगती हैं. पूरा इलाका पानी पानी हो जाता है. तो वहीं गंगा बहाव क्षेत्र बक्सर से लेकर भागलपुर तक का इलाका गंगा के रौद्र रूप से बाढ़ग्रस्त हो जाता है. इस मसले पर लगातार फरक्का डैम (Farakka Dam)पर सवाल उठाए जाते रहे हैं. कभी सिल्ट की सफाई को लेकर तो कभी उसकी डिजाइन को लेकर. एक बार फिर जल संसाधन मंत्री ने फरक्का डैम की डिजाइन पर सवाल खड़े किए हैं. जल संसाधन मंत्री संजय झा के मुताबिक बिहार में गंगा की बाढ़ की असल वजह फरक्का डैम की डिजाइन है.

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'बिहार के इंटरेस्ट को कॉम्प्रमाइज करके फरक्का बांध बनाया गया. इससका खामियाजा ये हुआ है कि आज बिहार के भागलपुर से लेकर बक्सर तक का इलाका गंगा की बाढ़ की चपेट में है'- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार सरकार

देखें रिपोर्ट.

संजय झा ने बताया कि फरक्का डैम की डिजाइन 27 लाख क्यूसेक पानी निकासी के लिए बनी है. जबकि पटना में ही 32 लाख क्यूसेक पानी गंगा में बह रहा है. पटना के आगे गंडक, कोसी समेत तमाम नदियां गंगा में मिलतीं हैं. ऊपर से फरक्का डैम के 9 गेट हमेशा मेंटिनेंस के नाम पर बंद रहते हैं. ऐसे में हर समय 15 लाख क्यूसेक पानी ही फरक्का डैम से निकल पाता है. इसका खामियाजा ये होता है कि बक्सर से लेकर भागलपुर तक का इलाका गंगा की बाढ़ से त्रस्त रहता है. फरक्का डैम का निर्माण बिहार के इंटरेस्ट को कॉम्प्रमाइज करके बनाया गया है. जल संसाधन मंत्री के मुताबिक वो फरक्का बांध कोे तोड़ने की बात नहीं करते हैं. लेकिन टूट जाए तो बिहार का उसमें फायदा देखते हैं.

'फरक्का बांध की डिजाइन 27 लाख क्यूसेक पानी निकासी के लिए बनी है. पटना के गांधी घाट पर ही 32 लाख क्यूसेक पानी आगे की ओर बह रहा है. पटना के आगे कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक समेत दर्जनों नदी नाले गंगा में मिल रहे हैं. फरक्का के 9 दरवाजे मेंटिनेंस के नाम पर बंद रहते हैं. ऐसे में 15 लाख क्यूसेक पानी ही फरक्का डैम से पास हो पा रहा है. शेष पानी बिहार में बाढ़ का कारण बन रहा है'- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार सरकार

दूसरी ओर उत्तर बिहार का पश्चिमी चंपारण जिला जो नेपाल से छोड़े गए पानी से हमेशा त्रस्त रहता है. गुरुवार और शुक्रवार की रात को वाल्मीकिनगर गंडक बराज से 4 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके चलते अचनाक गंडक नदी के जल स्तर में बढ़ोतरी हुई है. नेपाल के झंडू टोला स्थित SSB का कैंप भी बाढ़ की चपेट में आ गया है. गांवों में रातों तारत इतना पानी आया कि गांव वालों को संभलने का मौका तक नहीं मिल पाया.

स्थानीय बताते हैं कि उनकी मांग हमेशा सरकार से रही है कि उनके इलाके में 2 किलोमीटर लंबा तटबंध बनाया जा सके जिससे उनका गांव सुरक्षित रहे. कई साल से इंतजार के बाद भी उनके हिस्से में सिर्फ बाढ़ मिल रही है.

बिहार में बाढ़ एक त्रासदी बन चुकी है. हरर साल नई कहानी लिखती है. फरक्का डैम की डिजाइन में अगर खामी है तो सरकारों को मिल बैठकर इसे सुलझा लेना चाहिए. आखिर कब तक लाखों जिंदगी दांव पर लगती रहेगी.

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