शूटिंग का डेस्टिनेशन कब बनेगा बिहार पटनाः भोजपुरी पिछले कुछ सालों से काफी ग्लोबल हो गई है. यूट्यूब पर भोजपुरी गाने सर्वाधिक ट्रेंड हो रहे हैं और सर्च किए जा रहे हैं. भोजपुरी की लोकप्रियतामें हर दिन इजाफा हो रहा है. भोजपुरी का सबसे बड़ा दर्शक वर्ग बिहार है, कई कलाकार भी बिहार के हैं, लेकिन इसके बावजूद भोजपुरी में फिल्म (Bhojpuri Cinema 2022) और गानों की शूटिंग नगण्य (Bhojpuri film not shooting in Bihar) है. साल 2022 में बिहार में गिने-चुने भोजपुरी फिल्मों के कुछ सीन की शूटिंग हुई. बाकी अधिकांश भोजपुरी फिल्में बिहार से बाहर ही शूट की गई. कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद से बिहार में सिनेमा हॉल की संख्या में कमी आई और इसका असर भोजपुरी के मार्केट पर भी पड़ा की अब भोजपुरी फिल्मों को टीवी पर या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज करना पड़ रहा है.
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कला संस्कृति विभाग ने दिया था आश्वासनःदरअसल साल 2022 में कला संस्कृति विभाग बिहार सरकार के दिए गए आश्वासन के बाद भोजपुरी इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें थीं. लेकिन आश्वासन पर अमल नहीं हो पाया इस वजह से बिहार के कलाकारों को काफी निराशा हुई. भोजपुरी इंडस्ट्री से जुड़े कलाकार लंबे समय से बिहार में नई फिल्म नीति और फिल्म सिटी उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं. लेकिन फिल्म सिटी बन तो रही है लेकिन उसमें विलंब हो रहा है. जबकि फिल्म नीति सालों से सरकारी फाइलों में दबी हुई हैं. सरकारें आती हैं जाती हैं, मंत्री बदलते हैं लेकिन नहीं बदलते हैं तो आश्वासन के दौर और नई फिल्म नीति लाने में विलंब की प्रक्रिया. नई फिल्म नीति नहीं होने से बिहार के कलाकार काफी नाराज हैं और उन्हें साल 2023 में बिहार सरकार से काफी उम्मीदें भी हैं.
भोजपुरी के प्रति सरकार का उदासीन रवैयाःभोजपुरी फिल्मों के निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर विजय यादव कहते हैं कि बिहार में पहले फिल्मों की बहुत शूटिंग होती थी. अभी नहीं हो पा रही है इसकी कुछ वजह है और इसमें प्रमुख वजह है कि बिहार सरकार इसमें बहुत उदासीन है. आज उत्तर प्रदेश में भोजपुरी फिल्मों के निर्माण में सरकार सब्सिडी दे रही है, अखिलेश यादव की सरकार में सब्सिडी देने की प्रक्रिया शुरू हुई और योगी सरकार में इसे और प्रमोट किया गया. जिससे भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग के लिए इधर उधर जाने वाले लोग यूपी में जाकर शूटिंग करने लगे. इसके अलावा फिल्म निर्माण और पर्यटन को जिस प्रकार यूपी ने बढ़ावा दिया इससे वहां रोजगार के अवसर भी बड़े और फिल्म निर्माताओं को निर्माण करने में सहूलियत भी हुई.
"यूपी में हर साल 40 से 50 की संख्या में फिल्मों की शूटिंग हो रही है. कोई भी प्रोड्यूसर जहां जाता है फिल्म निर्माण के लिए अपना पैसा लगाता है तो वो जहां फिल्म बन रहा होता है वहीं इन्वेस्ट होता है. इसका मतलब साफ है कि पैसा यूपी में इन्वेस्ट हो रहा है. हम चाहते हैं कि बिहार में भी फिल्मों का निर्माण हो क्योंकि भोजपुरी फिल्मों के सबसे बड़े दर्शक बिहार में हैं. बिहार में पहले हाजीपुर, छपरा आरा, बक्सर और कैमूर फिल्मों की शूटिंग के हब हुआ करते थे. उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकार को इसके लिए दोष देना उचित नहीं होगा. बिहार के कलाकारों को कुछ अपना भी एफर्ट डालना होगा"-विजय यादव, निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर
निर्माता सब्सिडी के लिए जाते हैं यूपीः विजय यादव ने आगे कहा कि आज फिल्म निर्माता सब्सिडी के लिए यूपी चले जाते हैं, ऐसे में बिहार सरकार को नई फिल्म नीति और सब्सिडी को लेकर नियम लाने की आवश्यकता है. ताकि भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग बिहार में हो और यदि एक फिल्म की शूटिंग होगी तो उससे सैकड़ों लोगों की टीम जीतेगी और इससे बिहार के लोगों को रोजगार का एक बड़ा अवसर भी मिलेगा. वहीं, भोजपुरी फिल्मों के निर्देशक पराग पाटिल ने कहा कि बिहार में भोजपुरी फिल्मों के शूटिंग के लिए बहुत ही सुंदर और बहुत सारी जगहें हैं. बिहार में भोजपुरी के बड़े दर्शक वर्ग हैं लेकिन बिहार में इन सबके बावजूद फिल्मों की शूटिंग नहीं हो रही है इसके पीछे कहीं न कहीं सरकारी उदासीनता है. कोई फिल्म के लिए पॉलिसी नहीं है सब्सिडी का प्रावधान नहीं है.
"सरकार अगर फिल्म निर्माण को प्रमोट करें, अपने यहां के टूरिज्म को प्रमोट करें तो फिल्मों का निर्माण बिहार में शुरू होगा और कहीं ना कहीं इसके लिए फिल्म निर्माण में सब्सिडी का प्रावधान सरकार को करना चाहिए जिस प्रकार यूपी और महाराष्ट्र में है. इसके अलावा महाराष्ट्र में जिस प्रकार सिनेमा हॉल में कुछ शो मराठी फिल्मों के लिए कंपलसरी है, उसी प्रकार बिहार में भी भोजपुरी फिल्मों के लिए सिनेमा हॉल में कम से कम एक शो कंपलसरी किया जाए. सरकार इन सब बातों पर ध्यान देगी तो फिल्म इंडस्ट्री के माध्यम से बिहार में रोजगार का एक बहुत बड़ा अवसर तैयार होगा और यह बिहार की तरक्की में भी सहायक होगा"-निर्देशक पराग पाटिल
प्रदेश में होनी चाहिए भोजपुरी प्रमोटः वहीं, भोजपुरी फिल्मों के गायक और अभिनेता अंकुश ने बताया कि बिहार के सभी कलाकार चाहते हैं कि बिहार में फिल्मों का शूटिंग अधिक से अधिक हो और बिहार में फिल्म इंडस्ट्री प्रमोट हो. पर्दे के पीछे जब भी वह सब एक साथ बैठते हैं तो सबकी जेहन में होता है कि कैसे प्रदेश में भोजपुरी को प्रमोट किया जाए. इस बात पर भी चर्चा की जाती है कि सरकार अगर क्या कुछ नियम बनाए तो बिहार में फिल्मों की शूटिंग बढ़ जाएगी जिसमें इस बात पर प्रमुखता से बात होती है कि पड़ोसी राज्य यूपी में फिल्मों के निर्माण में सब्सिडी का प्रावधान है, झारखंड में भी फिल्म पॉलिसी अच्छी है और इन सब को देखते हुए बिहार सरकार भी एक नई फिल्म पॉलिसी लाए.
"लंबे समय से नई फिल्म नीति की चर्चा हो रही है और यह साल भी बीत गया. ऐसे में साल 2023 में हम सरकार से यही अपेक्षा रखते हैं कि जल्द से जल्द नई फिल्म नीति को सरकार लागू करेगी. हम सरकार से निवेदन करेंगे कि प्रदेश में नई फिल्म नीति में फिल्मों के निर्माण में सब्सिडी का भी प्रावधान हो. अगर ऐसा होता है तो बिहार में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. आज भोजपुरी का कोई अवार्ड फंक्शन भी होता है तो मुंबई और दूसरे राज्यों में होता है लेकिन बिहार में फिल्म इंडस्ट्री को प्रमोट किया जाए तो यह सब यही होगा और यहां के दर्शकों को आनंद भी आएगा रोजगार का अवसर भी बढ़ेगा"- अंकुश, गायक और अभिनेता
नए साल में वह सरकार से है अपेक्षा ःइस सिलसिले में भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री अनारा गुप्ता ने बताया कि नए साल में वह सरकार से अपेक्षा रखती हैं कि भोजपुरी फिल्मों के निर्माण को लेकर सरकार का जो उदासीन रवैया है उसमें बदलाव आएगा. नई फिल्म नीति सरकार जल्द लाएगी जिसकी फिल्म जगत से जुड़े सभी लोगों को लंबे समय से इंतजार है. उन्होंने कहा कि फिल्मों के निर्माण के लिए बिहार में सरकार को सब्सिडी भी देना चाहिए और बिहार के जितने भी थिएटर हैं वहां पर कम से कम एक शो भोजपुरी के लिए प्रतिदिन मैंडेटरी कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह समझती है कि भोजपुरी मूलतः बिहार की भाषा है और बिहार में इसको प्रमोट करने के लिए सरकार को सकारात्मक कोशिश करनी चाहिए.