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Year Ender 2021: बिहार बीजेपी के लिए बड़े बदलाव का रहा साल, किए गए कई परिवर्तन - बिहार बीजेपी में बड़ा राजनीतिक बदलाव

साल 2021 में (Year Ender 2021) बिहार बीजेपी में कई बदलाव देखने को मिले. पार्टी ने अपनी जमीन को मजबूत करने के साथ ही युवा नेताओं की बिग्रेड बनाने के लिए बड़े फैसले लिए. पढ़ें ईटीवी भारत की ये रिपोर्ट..

Big Political Changes In Bihar BJP
Big Political Changes In Bihar BJP

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Published : Dec 31, 2021, 6:01 AM IST

पटना:साल 2021 भाजपा के लिए उथल-पुथल (Big Political Changes In Bihar BJP ) का काल रहा. पार्टी को बिहार में कई चुनौतियों से जूझना पड़ा. पार्टी में दूसरी पीढ़ी के कद्दावर नेताओं को बाय बाय कर मार्गदर्शन मंडल में डाल दिया गया. पार्टी के समक्ष तीसरी पीढ़ी के नेताओं को स्थापित करने की चुनौती बरकरार है.

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बिहार भाजपा (Bihar BJP) उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. पार्टी के कद्दावर नेता सुशील मोदी (Sushil Modi), नंदकिशोर यादव (Nandkishore Yadav), प्रेम कुमार (Prem Kumar) को एक ही झटके में किनारे कर दिया गया और दूसरी पंक्ति के नेताओं को नीतीश कैबिनेट (Change In Bihar BJP For Future Politics) में जगह दी गई. तीनों नेता डेढ़ दशक तक भाजपा और नीतीश सरकार के लिए तारणहार की भूमिका में रहे. तीनों नेताओं को पार्टी ने पहले तो मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी बाद में कोर कमेटी से भी अलग रखा. लेकिन बहुत दिन तक यह सब कुछ नहीं चल पाया और फिर दोबारा तीनों नेताओं को राष्ट्रीय कार्यसमिति के अलावा बिहार प्रदेश के कोर कमेटी में शामिल कर लिया गया.

साल के बड़े उलटफेर

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बिहार बीजेपी सुशील मोदी , नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार के नाम से जानी जाती थी. तीनों नेता लंबे समय तक पार्टी के नीति निर्धारक रहे हैं. 15 साल तक सुशील मोदी जहां उपमुख्यमंत्री बने रहे. वहीं, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को मंत्रिमंडल में जगह मिली. तीनों नेता नीतीश कुमार की पसंद माने जाते थे और सरकार बनने के वक्त तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल भी किया जाता था. लेकिन, इस बार विधानसभा चुनाव के परिणामों में नीतीश कमजोर हुए और तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी.

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मोदी कैबिनेट में नहीं मिली जगह: परफॉर्मेंस के आधार पर केंद्र की राजनीति में दखल रखने वाले बिहार के दो कद्दावर नेताओं को पार्टी ने किनारे कर दिया. पहले तो पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी (Rajeev Pratap Rudy) को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई और फिर उसके बाद केंद्र की सरकार में मजबूत दखल रखने वाले रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

बिहार बीजेपी का साल 2021

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बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पसंद या नापसंद का असर साफ दिख जाता है. बात अगर राजीव प्रताप रूडी की कर लें तो राजीव प्रताप रूडी बिहार के बड़े नेता हैं. इसके बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनाया गया. रूडी नरेंद्र मोदी सरकार में कौशल विकास राज्य मंत्री रह चुके हैं. उनको साल 2017 में ही मंत्री पद छोड़ना पड़ा, तब राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि, यह मेरा नहीं पार्टी का फैसला है. राजीव प्रताप रूडी की जगह धर्मेंद्र प्रधान को कौशल विकास मंत्री बनाया गया था. 2021 में भी रूडी को पार्टी ने महत्व नहीं दिया.

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वहीं सरकार का सबसे अधिक दिखने वाला चेहरा रहे रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) को भी मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet Expansion) से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद बिहार भाजपा के कद्दावर नेता हैं. रविशंकर प्रसाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी मंत्री थे और नरेंद्र मोदी सरकार में भी मंत्री रहे. लेकिन ट्विटर विवाद के चलते रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था.

बिहार भाजपा में दूसरी पीढ़ी के नेताओं के राजनीतिक भविष्य का सूर्यास्त होता दिख रहा है. पार्टी ने दूसरी पंक्ति के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए. अब दूसरी पंक्ति के नेता परफॉर्मेंस के आधार पर भाजपा के लिए नीति निर्धारक की भूमिका में होंगे. पार्टी, नेताओं के परफॉर्मेंस पर नजर बनाए हुए है.

भाजपा में एक और बड़ा उलटफेर हुआ. लंबे समय से संगठन महामंत्री के रूप में काम कर रहे नागेंद्र नाथ को भी किनारे कर दिया गया. नागेंद्र नाथ की जगह गुजरात से आए भीखुभाई दलसानिया (Bhikhubhai Dalsania) को संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई. दरअसल बीजेपी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी पार्टी को स्वावलंबी बनाना चाहती है. पार्टी कैसे आत्मनिर्भर बने, इसके लिए जेपी आंदोलन से निकले नेताओं को मुख्यधारा से अलग कर दिया गया है और नई टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

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बिहार प्रभारी को लेकर अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है. दरअसल बिहार प्रभारी के रूप में काम कर रहे भूपेंद्र यादव केंद्र में मंत्री बनाए जा चुके हैं. ऐसे में सांसद हरीश द्विवेदी को बिहार का प्रभारी बनाने को लेकर चर्चाएं खूब हुईं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. हालांकि सांसद हरीश द्विवेदी को बिहार का सह प्रभारी बनाकर फिर स्टेप डाउन करा दिया गया. भूपेंद्र यादव की टीम में हरीश द्विवेदी (Harish Dwivedi) सह प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं. लिहाजा उनका नाम आगे कर दिया गया, लेकिन फिर फैसले पर संशय की स्थिति बन गई. वे उत्तर प्रदेश के बस्ती से सांसद हैं और वह अगड़ी जाति से आते हैं.

बिहार बीजेपी (Bihar BJP) में उलटफेर का दौर पिछले कुछ महीनों से जारी है. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ये सिलसिला तब शुरू हो गया था, जब सुशील मोदी, प्रेम कुमार और नंदकिशोर यादव को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था. जेपी नड्डा (JP Nadda) की टीम में भी तीनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली. इधर पार्टी के संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ को भी प्रमोट कर रांची भेज दिया गया और उनकी जगह भिखुभाई दलसानिया ने लिया.

बिहार में भाजपा युवा नेताओं की ब्रिगेड तैयार करना चाहती है और उसी क्रम में केंद्र की राजनीति से शाहनवाज हुसैन को बिहार लाकर सरकार में मंत्री बनाया गया. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को भी बिहार में पार्टी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की तैयारी में है.

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