पटना:साल 2021 भाजपा के लिए उथल-पुथल (Big Political Changes In Bihar BJP ) का काल रहा. पार्टी को बिहार में कई चुनौतियों से जूझना पड़ा. पार्टी में दूसरी पीढ़ी के कद्दावर नेताओं को बाय बाय कर मार्गदर्शन मंडल में डाल दिया गया. पार्टी के समक्ष तीसरी पीढ़ी के नेताओं को स्थापित करने की चुनौती बरकरार है.
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बिहार भाजपा (Bihar BJP) उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. पार्टी के कद्दावर नेता सुशील मोदी (Sushil Modi), नंदकिशोर यादव (Nandkishore Yadav), प्रेम कुमार (Prem Kumar) को एक ही झटके में किनारे कर दिया गया और दूसरी पंक्ति के नेताओं को नीतीश कैबिनेट (Change In Bihar BJP For Future Politics) में जगह दी गई. तीनों नेता डेढ़ दशक तक भाजपा और नीतीश सरकार के लिए तारणहार की भूमिका में रहे. तीनों नेताओं को पार्टी ने पहले तो मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी बाद में कोर कमेटी से भी अलग रखा. लेकिन बहुत दिन तक यह सब कुछ नहीं चल पाया और फिर दोबारा तीनों नेताओं को राष्ट्रीय कार्यसमिति के अलावा बिहार प्रदेश के कोर कमेटी में शामिल कर लिया गया.
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बिहार बीजेपी सुशील मोदी , नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार के नाम से जानी जाती थी. तीनों नेता लंबे समय तक पार्टी के नीति निर्धारक रहे हैं. 15 साल तक सुशील मोदी जहां उपमुख्यमंत्री बने रहे. वहीं, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को मंत्रिमंडल में जगह मिली. तीनों नेता नीतीश कुमार की पसंद माने जाते थे और सरकार बनने के वक्त तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल भी किया जाता था. लेकिन, इस बार विधानसभा चुनाव के परिणामों में नीतीश कमजोर हुए और तीनों नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी.
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मोदी कैबिनेट में नहीं मिली जगह: परफॉर्मेंस के आधार पर केंद्र की राजनीति में दखल रखने वाले बिहार के दो कद्दावर नेताओं को पार्टी ने किनारे कर दिया. पहले तो पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी (Rajeev Pratap Rudy) को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई और फिर उसके बाद केंद्र की सरकार में मजबूत दखल रखने वाले रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
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बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पसंद या नापसंद का असर साफ दिख जाता है. बात अगर राजीव प्रताप रूडी की कर लें तो राजीव प्रताप रूडी बिहार के बड़े नेता हैं. इसके बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनाया गया. रूडी नरेंद्र मोदी सरकार में कौशल विकास राज्य मंत्री रह चुके हैं. उनको साल 2017 में ही मंत्री पद छोड़ना पड़ा, तब राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि, यह मेरा नहीं पार्टी का फैसला है. राजीव प्रताप रूडी की जगह धर्मेंद्र प्रधान को कौशल विकास मंत्री बनाया गया था. 2021 में भी रूडी को पार्टी ने महत्व नहीं दिया.