पटना:कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश भर में पिछले 2 महीनों से लॉकडाउन है. लॉकडाउन होने की वजह से आम लोग आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में बिहार बिजली विभाग ने विद्युत उपभोक्ताओं की परेशानियों को बढ़ा दिया है. लॉकडाउन के दौरान मीटर रीडरों के हड़ताल पर होने के कारण विभाग की ओर से लोगों को ज्यादा बिल भेजे जा रहे हैं.
लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े होटल, उद्योग, दुकानों और अन्य व्यवसायिक संस्थानों को इस बार एवरेज खपत के आधार पर बिजली बिल भेजे गए हैं. आम लोगों को भी एवरेज खपत के आधार पर बिजली बिल भेजा गया है जो घर 3 महीने से बंद है, वहां भी बिजली बिल भेज दिए गए हैं. बिजली विभाग के इस रवैए से आम और खास सभी परेशान हैं.
राज्य में ये है मौजूदा स्थिति
बिहार में 3000 उद्योग इकाइयां 38 जिलों में कार्यरत है. जिसमें बियाड़ा प्रक्षेत्र में 569 इकाइयां कार्यरत हैं. औद्योगिक इकाइयां फिक्स चार्ज से परेशान हैं. फिक्स्ड चार्ज ने उद्योगपतियों के परेशानियों को और बढ़ा दिया है, ऊपर से औसत बिल भेजे जाने से औद्योगिक इकाइयों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. विधायक राहुल तिवारी की मानें तो उनके कई औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, इन्हें कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. प्रतिष्ठान जब खुले थे तब 40,000 रुपये बिजली बिल आता था. अब जब 2 महीने से सब बंद पड़ा है तो 60,000 रुपये से ज्यादा बिजली बिल आया है.