पटना: शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के लिए जाना जाता है. इस दिन उन्हीं की पूजा-अर्चना की जाती है. मां के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली. इससे ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली.
- मां ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी का नाम तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी पड़ा.
मां का दिव्य स्वरूप...
पूर्ण रूप से ज्योतिर्मय मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है, जो मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं. कठोर तप के कारण इनके मुख पर अद्भूद तेज और आभामंडल विद्यमान रहता है. उनके हाथों अक्ष माला और कमंडल होता है. मां को साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की उपासना कर सहज की सिद्धि मिलती है.
- पूजन का मंत्र-दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था. उन्होंने नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की. इस कठिन तपस्या के कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा.