पटनाः 9 दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि को लेकर आज मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाएगी. इस दिन मां कात्यायनी की पूजा का खास महत्व है. मां कात्यायनी माता का छठा रूप है. नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है. इस दिन श्रद्धालु को पूजा-अर्चना करने से मां का आशीर्वाद मिलता है. हिन्दू पचांग के अनुसार साल में 4 बार नवरात्र आता है, जिसमें दो नवरात्रि महत्वपूर्ण है और दो गुप्त है. शारदीय नवरात्र और चैत नवरात्र भक्तों के लिए खास माना जाता है. शारदीय नवरात्र आश्विन मास में मानाया जाता है.
यह भी पढ़ेंःChaiti Chhath 2023: चैती छठ को लेकर दुकानें सजकर तैयार.. जाने दउरा, सूप और हथिया की कीमतें
30 मार्च को संपन्न होगा नवरात्रःइस बार चैत नवरात्र 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च को गुरुवार तक चलेगा. अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के बाद नवरात्र संपन्न हो जाएगा. 27 मार्च को माता का छठा रूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाएगी. इस दिन पूर्जा अर्चना का खास महत्व माना जाता है. इस दिन पूजा करने से भक्तों को माता का विशेष आशीष प्राप्त होता है.
मां कात्यानी का स्वरूपः मां कात्यानी का रूप अत्यंत ही चमकीला और भास्वर है. मां को चार भुजाएं हैं, जिसमें दाहिना तरफ से उपर वाला हाथ अभयमुद्रा और नीचे वाला वरमुद्रा में है. बाईं ओर से उपर के हाथ में तलवार और नीचे में कमल है. मां कात्यायनी सिंह पर सवार रहती है. नवरात्रि के छठे दिन माता के इस स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन पूर्जा करने के भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है.
मां कात्यानी की पूजा का महत्वः नवरात्र के छठे दिन मांता के छठा स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है. इस दिन भक्तों को पूजा अर्चना के दौरान 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं.' इसका जाप करने से अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है.
पूजा विधिःइस दिन स्नान कर गंगाजल से मां का आचमन करें. इसके बाद मां कात्यायनी का ध्यान करते हुए धूप-दीप जलाएं, रोली से मां को तिलकर लगाकर अक्षत चढ़ाएं. इस दिन मां को गुड़हल और लाल फूल चढ़ाएं. मां की आरती के बाद अंत में क्षमाचायना करें. माता की पृपा के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. इस तरह से पूजा-अर्चना करने के मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है.