पटना: मां दुर्गा के नौ स्वरूप की 9 दिन पूजा होती है. जिसे लोग नवरात्रि कहते हैं. नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. उन्हें घी-दूध से बने पदार्थों का भी भोग लगाया जाता है.
माना जाता है कि नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है और ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होता है. मां ब्रह्मचारिणी सन्मार्ग दिखाने वाली होती हैं. माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और गुणों में वृद्धि होती है.
मां दुर्गा का दूसरा स्वरुप भक्तों को अनंत फल देने वाला
आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि माता के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा साधक अपने मन को मां के चरणों में लगाकर पूजा करें और ब्रह्मा का अर्थ तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली है. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों को अनंत फल देने वाला है.
इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य और सदाचार की वृद्धि होती है. जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है.
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माता ब्रह्मचारिणी करती है कल्याण
आचार्य ने बताया कि माता ब्रह्मचारिणी लोगों का कल्याण करेंगी, माता की दूसरे दिन श्वेत सिंगार से नाना प्रकार के फूल और फल से माता का भोग लगावें. आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया माता ब्रह्मचारिणी को 108 माला जाप करें. घर में सुख शांति बनी रहेगी, रोग, द्वेष दूर और मनोकामना पूर्ण होगा.
माता ब्रह्मचारिणी के लिए बताया यह मंत्र
वहीं, आचार्य ने लोगों को मंत्र भी बताया किया देवी सर्वभूतेषु मात्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः, या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः, या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः इन मंत्रों से भक्त मां का जाप करें तो घर में सुख शांति बना रहेगा.
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माता ब्रह्मचारिणी की ऐसी होती पूजा
आचार्य ने बताया कि माता के अनेक रूप हैं. माता को जो जिस रूप में मानता है वह उस रूप में रहती हैं. माता नवदुर्गा की रूप के द्वितीय ब्रह्मचारिणी को लोग पूजा अर्चना कर आरती करते हैं. माता के नौ रूपी के अलग-अलग दिन अलग-अलग नाम से लोग जानते हैं. ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें फिर माता को स्नान कराएं. अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर से अर्पित करें.
इसके अलावे माता को कमल का फूल भी खूब भाता है और पूजते हैं. साथ में माता को तरह-तरह की प्रसाद का भोग भी लगाते हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में मां को फूल, अक्षत, रोली और चंदन आदि भी अर्पण करते हैं और मिठाई का भोग भी लगाया जाता है. पान-सुपारी लॉन्ग भी अर्पित किया जाता है.
कहा जाता है कि मां की पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांतचित और प्रसन्न रहते हैं, उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता है.