पटना: आज यानी 15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआतहो गई है. आज पहला दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि प्रथम दिन से पहले भक्त अपने घर मंदिर को धोकर पहले दिन घटस्थापना की जाती है. फिर माता की पूजा अर्चना प्रारंभ होती है.कलश स्थापनाअभिजीत मुहूर्त के प्रतिपदा तिथि पर करना शुभ माना जाता है. अभिजीत मुहूर्त 11:38 से लेकर 12: 38 तक रहेगा ऐसे उदया तिथि को लेकर सुबह 8:00 बजे से दिनभर कलश स्थापन किया जाएगा.
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Navratri 2023 : नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा आज, जानें पूजा विधि और घटस्थापना का मुहूर्त - आज से नवरात्र की शुरुआत
नवरात्र के पहले दिन की माता के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है. आज नवरात्र का पहला दिन है. इस दिन माता को प्रसन्न करने के लिए भक्त इस पूजा विधि का पालन करें तो मां को प्रसन्न कर मनवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है.
Published : Oct 15, 2023, 6:03 AM IST
आज से नवरात्र की शुरुआत : आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि जो भक्त कलश स्थापना करते हैं, उनको विधि पूर्वक 9 दिन तक माता की पूजा अर्चना करना चाहिए. मिट्टी पर जौ डालकर कलश स्थापना करें, मां दुर्गा के चित्र को एक चौकी पर विराजमान करें. हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा वंदन किया जाता है. इसलिए भगवान गणेश की पूजा अर्चना करें, पंच पल्लो की पूजा करें अपने इष्ट देवता को ध्यान धरें.
मां शैलपुत्री की पूजा विधि: मां दुर्गा को जल से स्नान कराएं, चंदन फूल चढ़ावे फल नैवेद्य अर्पित करें. आचार्य जी ने यह भी बताया कि मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए अड़हुल का फूल अवश्य चढ़ाएं और हो सके तो दूध से बनी खीर अवश्य चढ़ाएं, जिससे की माता रानी प्रसन्न होती हैं. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें उसके बाद माता की आरती करें और उसके बाद माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करें, फिर प्रसाद वितरण करें. इस तरह से पूजा करने से मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है.
''प्रथम दिन से लेकर नवमी तक माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा का विधान है. प्रथम शैलपुत्री को समर्पित है. माता दुर्गा ने पार्वती स्वरूप रूप में हिमालय के घर जन्म लिया था. जिस वजह से देवी का नाम शैलपुत्री पड़ा. माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से धन ध्यान की वृद्धि, सुख शांति आती है. मां शैलपुत्री की सवारी बैल है एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल है. उनके पीछे आधा चांद बना हुआ है. जो भक्त ध्यानपूर्वक माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना करेंगे उनके जीवन में बेहतर बदलाव आता है.''- रामशंकर दूबे, आचार्य