पटना: सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद बिहार में जन्म दर में कमी नहीं आ पाई है. हाल के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में हर 1 हजार लोगों पर 26.2 बच्चे जन्म ले रहे हैं. विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने जब जन्म दर जानी, तो सरकार के सारे दावे फेल नजर आए.
बिहार के मुख्यमंत्री यह दावा करते हैं कि जब लड़कियां पढ़ी लिखी होंगी, तो प्रजनन दर में कमी आएगी. इस लिहाज से लड़कियों की शिक्षा पर बिहार में विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके नतीजे भी कुछ हद तक संभले नजर आए हैं. लेकिन आंकडे़ जो कुछ बता रहे हैं, उसके मुताबिक जहां जन्म दर राष्ट्रीय स्तर पर 20 है. वहीं बिहार में यह 26.2 है.
बिहार में प्रजनन दर
हाल में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के सर्वे के मुताबिक शिक्षित महिलाएं औसतन कम संतान पैदा करती हैं. बिहार में अशिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर तीन है, जबकि स्नातक और उसके ऊपर की पढ़ी लिखी महिलाओं में प्रजनन दर 1.7 है. बावजूद इसके, बिहार में प्रजनन दर में कमी नहीं आ पा रही. राष्ट्रीय स्तर की तुलना में बिहार का प्रति हजार का आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में इस दिशा में किए जा रहे प्रयास कितने नाकाफी हैं.
डॉक्टर की राय
इस बारे में डॉक्टर यह मानते हैं कि जिस स्तर की राज्य में स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, वह उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा सामाजिक सोच भी जनसंख्या नियंत्रण में एक बड़ी बाधा है. डॉ. दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि बिहार में लड़कियों के बजाय लड़के पैदा करने की चाहत और निम्न आय वर्ग वाले लोगों के द्वारा बच्चों को असेट(आय का स्रोत) समझना जनसंख्या नियंत्रण में बड़ी बाधा के रूप में सामने आया है.