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अयोध्या में था रामायण विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव, फिर वैशाली को क्यों चुना गया? जानें पूरा मामला - महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल

बिहार में जल्द ही रामायण विश्वविद्यालय ( Bihar First Ramayan University) का निर्माण किया जाएगा. महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि पहले इस विश्वविद्यालय को अयोध्या में बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. पढ़ें पूरी खबर..

World First Ramayana University In Vaishali
World First Ramayana University In Vaishali

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Published : Mar 18, 2022, 5:43 PM IST

पटना: बिहार में दुनिया का पहलारामायण विश्वविद्यालय (World First Ramayana University In Vaishali) खुलने जा रहा है. महावीर मंदिर ट्रस्ट (Mahavir Mandir Patna) ने वैशाली के इस्माइलपुर में जल्द ही रामायण विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है. महावीर मंदिर ट्रस्ट ने मंगलवार को शिक्षा विभाग को 10 लाख रुपये के अपेक्षित डिमांड ड्राफ्ट के साथ एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया.

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पहला रामायण विश्वविद्यालय:यह अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय होगा जो देश के पारंपरिक विश्वविद्यालयों में स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी और डी लिट के समकक्ष शास्त्री, आचार्य, विद्या वाचस्पति और विद्या वरिधि की डिग्री के लिए पाठ्यक्रम प्रदान करेगा. इस विश्वविद्यालय को बनाने के लिए सबसे पहले प्रस्ताव अयोध्या में रखा गया था, लेकिन अयोध्या में इस विश्वविद्यालय को बनाने के लिए 50 एकड़ जमीन की जरूरत थी जो कि महावीर मंदिर ट्रस्ट के पास नहीं थी. उसके बाद बिहार की धरती वैशाली में रामायण विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया गया है.

12 एकड़ जमीन की जरूरत: इस विश्वविद्यालय में रामायण और संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई होगी. यहां ज्योतिष, कर्मकांड, आयुर्वेद, योग और प्रवचन की भी शिक्षा प्रदान करने की योजना बनाई गई है. महावीर मंदिर ट्रस्ट के आचार्य किशोर कुणाल (Mahavir Mandir Trust secretary Acharya Kishore Kunal) जो कि बिहार के पूर्व डीजीपी रह चुके हैं, उन्होंने कहा कि अगर यह विश्वविद्यालय अयोध्या में बनता तो इसका महत्व कुछ और ही होता. परंतु कहीं ना कहीं ट्रस्ट के द्वारा वहां पर 50 एकड़ जमीन नहीं होने की वजह से हम लोगों ने निर्णय लिया कि इस विश्वविद्यालय को बिहार के वैशाली में स्थापित किया जाएगा.

"बिहार में इस विश्वविद्यालय को स्थापित करने के लिए 10 एकड़ जमीन की जरूरत थी और महावीर मंदिर ट्रस्ट के पास वैशाली के इस्माइलपुर में 12 एकड़ जमीन है. जिस पर यह विश्वविद्यालय स्थापित होगा. विश्वविद्यालय बनाने के लिए शिक्षा विभाग को हम लोगों ने प्रस्ताव दिया है. उम्मीद है कि 2023 में इसका कार्य प्रारंभ हो जाएगा और 2024 में यहां पर पढ़ाई शुरू हो जाएगी."-आचार्य किशोर कुणाल, सचिव, महावीर मंदिर ट्रस्ट

महावीर मंदिर ट्रस्ट वहन करेगा खर्च: महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि प्रथम शेष में करीबन ₹100000000 का खर्च आएगा जिसको महावीर मंदिर ट्रस्ट के तरफ से बनाया जाएगा. उसके बाद इससे यूनिवर्सिटी को चलाने में लगभग प्रतिवर्ष एक से दो करोड़ रुपए का खर्च आएगा. जिसको महावीर मंदिर ट्रस्ट की ओर से पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि छात्र जीवन से ही इस तरह का यूनिवर्सिटी बनाने का उनका सपना था. क्योंकि लोग रामायण के कहीं ना कहीं भूलते जा रहे हैं.

रामायण विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को रामायण से जड़ी तथ्यों की जानकारी हासिल हो पाएगी. प्राइवेट विश्वविद्यालय होने की वजह से सरकार इसमें किसी तरह से कोई भी मदद नहीं करेगी. अगर पैसे की ज्यादा आवश्यकता होगी तो वह किसी और संस्थान से भी सहयोग प्राप्त करेंगे. ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि विश्वविद्यालय इस्माइलपुर में ट्रस्ट के स्वामित्व वाली 12 एकड़ भूमि के क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा.

आपको बता दें कि भारत के कॉलेज और विश्वविद्यालय आज भले ही विश्‍व के टॉप शैक्षणिक संस्‍थानों में शामिल न हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब यह देश विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. भारत में ही दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय खुला था, जिसे हम नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जानते हैं. इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में हुई थी. नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था. जहां पर विदेशों से भी छात्र पढ़ने आते थे.

विदेशी छात्रों का भी हो सकेगा एडमिशन:आचार्य किशोर कुणाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि उम्मीद जताई जा रही है कि रामायण विश्वविद्यालय में भी विदेशों से छात्र रामायण के बारे में शिक्षा और इस पर शोध करने के लिए इस विश्वविद्यालय में आएंगे. संस्कृत हिंदी की जननी है और कहीं ना कहीं यह धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है. संस्कृत को लोग आज के समय में पूरी तरह से भूल चुके हैं जिस वजह से रामायण विश्वविद्यालय में रामायण को संस्कृत में पढ़ाई के साथ-साथ उस पर शोध भी किया जाएगा.

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इन विषयों की होगी पढ़ाई: इस विश्वविद्यालय में संस्कृत व्याकरण और रामायण मुख्य विषय होंगे. इसके अलावे ज्योतिष, कर्मकांड, आयुर्वेद, योग और प्रवचन की भी शिक्षा दी जाएगी. परिसर में भारतीय और विदेशी विद्वानों के लिए शोध कार्यों के लिए समृद्ध पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा. कुणाल ने कहा, 'पुराने देश की महान अकादमिक प्रवृत्ति, शस्त्रार्थ और जनहित के विभिन्न मुद्दों पर विद्वानों की बहस न केवल पुनर्जीवित होगी बल्कि अकादमिक पाठ्यक्रम में एक नियमित विशेषता भी बन जाएगी. अन्य विषयों के अलावा महर्षि पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी पर आधारित संस्कृत व्याकरण और पतंजलि का महाभाष्य और काशिका एक महत्वपूर्ण विषय होगा.

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