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World Diabetes Day 2023 : आज है अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह दिवस, जानिए कैसे है यह मीठा जहर, बचने के उपाय

आज वर्ल्ड डायबिटीज डे (WDD) है. अगर आप भी इस बीमारी से ग्रसित हैं, या इससे बचना चाह रहे हैं तो आगे हम आपको पूरी जानकारी देंगे. डॉक्टर क्या सलाह दे रहे हैं इसके लिए पढ़ें पूरी खबर.

World Diabetes Day 2023 Etv Bharat
World Diabetes Day 2023 Etv Bharat

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 14, 2023, 6:48 AM IST

पटना :आज के दौर में जिंदगी भागम-भाग सी हो गयी है. हम भाग तो रहे हैं, उससे ज्यादा तेज गति से बीमारी पीछा कर रही है. आज एक बीमारी आम हो चली है, वह है मधुमेह या कहें डायबिटीज.हर साल 14 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह दिवस मनाया जाता है. इस साल का थीम है 'एक्सेस टू डायबिटीज केयर'. इस थीम के जरिए डायबिटीज के सभी मरीजों को समान चिकित्सा सुविधा मिल सके और इस बीमारी के बारे में सही जानकारी मिल सके, इस बात पर जोर दिया गया है.

दुनिया में 10 में से 1 इंसान डायबिटीज से पीड़ित :साल 1991 से अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह दिवस मनाया जा रहा है. इस बार एक्सेस टू डायबिटीज केयर' थीम की मदद से डायबिटीज टाइप-2 को रोकने या उससे वक्त पर पहचान कर, उसका सही इलाज करवाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की कोशिश की जा रही है. वर्ल्ड डायबिटीज ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार दुनिया भर में 10 में से 1 इंसान को डायबिटीज से पीड़ित है. जिनमें से 90 प्रतिशत से अधिक को टाइप-2 डायबिटीज है.

आखिर क्यों होता है डायबिटीज ? मधुमेह होने के 2 कारण होते हैं. पहला कारण शरीर में इन्सुलिन का बनना बंद होना है. दूसरा कारण शरीर में इन्सुलिन का प्रभाव कम होना है. दोनों ही कारण की वजह से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को अपने खाने का ध्‍यान रखना चाहिए. यह रोग उम्र के अंतिम पड़ाव तक बना रहता है. ऐसे में इसके खतरों से बचे रहने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है.

डायबिटीज कितने प्रकार के होते हैं ? : डायबिटीज दो प्रकार के होते हैं. टाइप 1 डायबिटीज उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकता है, हालांकि बच्चों में यह ज्यादा मिलता है. इसमें इन्‍सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है. मरीज को ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल में लाने के लिए इन्‍सुलिन का इंजेक्‍शन दिया जाता है. वहीं टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है. इसमें इन्‍सुलिन कम मात्रा में बनता है. डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं.

युवाओं में डायबिटीज बढ़ा : पटना के न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल जो डायबिटीज के मरीजों के लिए डेडीकेटेड हॉस्पिटल है उसके अधीक्षक डॉक्टर मनोज सिन्हा बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों में यह काफी तेजी से पांव पसार रहा है. उन्होंने बताया कि मॉडर्न लाइफस्टाइल और फास्ट फूड का प्रचलन डायबिटीज युवाओं में डायबिटीज का प्रमुख कारण बना हुआ है. पहले जहां 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोग डायबिटीज के रिस्क जोन में होते थे वहीं अब 30 से 35 उम्र वाले लोग भी डायबिटीज के हाई रिस्क जोन में आ चुके हैं. यह वह लोग है जो प्री डायबिटीज स्टेज में है.

डॉ मनोज कुमार सिन्हा, अधीक्षक, न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल

बिहार में डायबिटीज मरीजों का आंकड़ा : एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट की माने तो बिहार में हर साल 10 फीसदी डायबिटीज के नए मरीज मिल रहे हैं. शहरी आबादी में लगभग 18 प्रतिश और ग्रामीण आबादी 5 प्रतिशत डायबिटीज से पीड़ित है. इसमें पुरुषों की संख्या लगभग 7 प्रतिशत है और महिलाओं की संख्या 5.45 प्रतिशत है. राजधानी पटना की बात करें तो पटना में 37 प्रतिशत आबादी मधुमेह से पीड़ित है. सामान्य तौर पर यह टाइप 2 डायबिटीज के मरीज हैं. डायबिटीज के मरीजों में टाइप 2 ही बड़ा है

''कई मामलों में डायबिटीज किसी गंभीर बीमारी के ट्रीटमेंट के दौरान अथवा किसी जटिल सर्जरी के ट्रीटमेंट के दौरान व्यक्ति को जकड़ लेता है. इसके अलावा आराम पसंद लाइफस्टाइल जिसमें शरीर का फिजिकल वर्क नहीं हो यह भी डायबिटीज का बहुत बड़ा कारण है. कई मामलों में स्वस्थ आदतों को अपनाने और बनाए रखने से टाइप 2 डायबिटीज और इसकी जटिलताओं से बचा जा सकता है. यदि किसी को डायबिटीज हो गया है तो उसे एक संतुलित भोजन, प्रतिदिन व्यायाम और डायबिटीज की दवा की आजीवन आवश्यकता है.''- डॉ मनोज कुमार सिन्हा, अधीक्षक, न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल

इन बातों का रखें ध्यान : कई लोग इधर-उधर की बातों में आकर डायबिटीज नियंत्रित होने पर दवा खाना छोड़ देते हैं. परिणाम यह हो जाता है कि उन्हें स्थिति गंभीर होने पर इन्सुलिन पर शिफ्ट करना पड़ जाता है. डायबिटीज से बचाव में हेल्दी खाना और एक्टिव लाइफस्टाइल मददगार होता है. इसलिए लोगों को अपने रहन-सहन और खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

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