पटना: राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों में बाल तस्करी पर रोक लगाने को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. गुरुवार को मसौढ़ी में कार्यशाला लगायी गयी. छोटे-छोटे लड़के और लड़कियों को भी इस कार्यशाला में शामिल किया गया. उनलोगों को समझाया गया कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति काम दिलवाने के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों को लड़कियों को बहला फुसलाकर ले जा रहा है तो चेत जाइये.
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"ग्रामीण परिवेश में रहने वाले छोटे-छोटे बच्चों, लड़के-लड़कियों की बाल तस्करी पर रोक लगाने को लेकर उन्हें जागरूक कर समझाया जा रहा है कि कैसे लोग काम दिलाने के बहाने बड़े-बड़े शहरों में ले जाकर उन्हें बेच देते हैं. मानव अंगों का व्यापार करते हैं."- सिस्टर आशा अनिमा, मसौढ़ी
चंद पैसों के लिए बच्चों को बाहर ना भेजेंः आशा किरण ग्रामीण संस्था के तहत पटना से चलकर आए फादर जोश, सिस्टर लेखा, सिस्टर आशा आदि लोगों ने ग्रामीण परिवेश की महिलाओं और लड़के लड़कियों को जागरूक किया. उन्हे बताया गया कि चंद पैसों के लिए अपने बाल बच्चों को कमाने के लिए बाहर नहीं भेजें, अन्यथा इसका परिणाम गलत हो सकता है. कार्यशाला में 18 पंचायत के सभी गांव के गरीब मजदूर लोग शामिल हुए.
क्या है बाल तस्करीः काम करवाने के बहाने मजदूरी दिलाने के बहाने 18 वर्ष से कम लड़के और लड़कियों को बड़े-बड़े शहरों में ले जाया जाता है. उसके साथ कई तरह के अनैतिक कार्य किए जाते हैं. उनके छोटे-छोटे बच्चों को बेच दिया जाता है इसके अलावा उनके शारीरिक अंगों का व्यापार भी किया जाता है. ऐसे में कई तरह की बाल तस्करी को रोकने और गांव के लोगों को जागरूक किया जा रहा है.