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पटना: कोशी त्रासदी पर विशेषज्ञों की 2 दिवसीय कार्यशाला, बाढ़ से मुक्ति पर मंथन जारी - सेडिमेन्टेसन मेंटेनेंस

पटना के ज्ञान भवन में बाढ़ विशेषज्ञों की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति रासबिहारी प्रसाद सिंह, बाढ़ विशेषज्ञ दिनेश मिश्रा, आई.सी.आई.एम.ओ. नेपाल के तरफ से संजीव भूचार के साथ अन्य देश-विदेश से विशेषज्ञ कार्यशाला में शामिल हुए हैं.

कार्यशाला में बाढ़ विशेषज्ञ

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Published : Jul 31, 2019, 3:53 PM IST

पटना:कोसी क्षेत्र में आ रही लगातार बाढ़ को देखते हुए पटना के ज्ञान भवन में बाढ़ विशेषज्ञों की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. विशेषज्ञों ने कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यक्रम में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति रासबिहारी प्रसाद सिंह, बाढ़ विशेषज्ञ दिनेश मिश्रा, आई.सी.आई.एम.ओ. काठमांडू नेपाल की तरफ से संजीव भूचार के साथ ही अन्य देश-विदेश से विशेषज्ञ कार्यशाला में शामिल हुए.
देश-विदेश से आए बाढ़ विशेषज्ञ
उत्तरी बिहार में लगातार आ रही बाढ़ से तबाही को देखते हुए बिहार स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. यह कोसी डिजास्टर रिडक्शन नॉलेज हब पर अधारित कार्यशाला है. जिसमें देश-विदेश से बाढ़ विशेषज्ञों ने भाग लिया है.

दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

विशेषज्ञों ने रखे विचार
इस दो दिवसीय इंटरनेशनल कार्यशाला में बाढ़ आपदा समस्या के निराकरण के लिए विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे. बाढ़ विशेषज्ञ दिनेश मिश्रा ने कहा कि कोशी हमारे पास नहीं आई है, बल्कि हम कोशी के पास चले गए हैं.

बाढ़ विशेषज्ञ निकाल सकते हैं रास्ता
दिनेश मिश्रा का मानना है कि हमारे क्षेत्र की नदियों का कुछ हिस्सा ऊपर चला गया है. यानी नेपाल की तरफ और हमारा जो क्षेत्र है वह नीचे रह गया. जिससे बाढ़ के समय में भयावह स्थिति आ जाती है. दिनेश मिश्रा का मानना है कि सरकार की तरफ से कोशिश तो हर साल होती है. लेकिन वह सही से नहीं हो पाती है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार की तरफ से सहयोग मिले तो विशेषज्ञों के साथ बैठकर इसका रास्ता निकाला जा सकता है.

कार्यशाला में बाढ़ विशेषज्ञ

नेपाल के साथ करे वार्ता
उन्होंने कहा कि अगर नेपाल के साथ वार्ता कर समस्या का हल निकाला जाए तो स्थिति कुछ और होगी. अगर सरकार भी विधानसभा में लाया गया 1966 का डीआरआर लागू हो जाता तो आपदा के पूर्व लोगों को यह बता दिया जाता की कितना पानी आएगा और कब आएगा तो समस्या का कुछ समाधान हो सकता था.

'सेडिमेन्टेशन पर कार्य करें'
संजीव भुचार ने कहा कि भारत-नेपाल को मिलकर सेडिमेन्टेशन मेंटेनेंस पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसका हॉट-स्पॉट कहां है यानि सबसे ज्यादा सेडिमेन्टेशन कहां है. अगर उसपर काम करे तो स्थिति ठीक हो सकती है.

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