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विश्व रोगी सुरक्षा दिवस पर कार्यशाला, 'प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को विशेष देखभाल की जरूरत' - गर्भावस्था

रुबन मेमोरियल अस्पताल (Ruban Memorial Hospital) के निदेशक डॉ. सत्यजीत कुमार सिंह ने विश्व रोगी सुरक्षा दिवस पर कहा कि पूरी दुनिया में मरीजों को बचाने के लिए डॉक्टर दिन-रात जुटे रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद हर सेंकेंड किसी न किसी मरीज की जान चली जाती है, जोकि बेहद दुखद स्तिथि है.

Dr. Satyajit Kumar Singh
Dr. Satyajit Kumar Singh

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Published : Sep 16, 2021, 5:21 PM IST

पटना:आज विश्व रोगी सुरक्षा दिवस (World Patient Safety Day) है. इस मौके पर राजधानी पटना (Patna) स्थित रुबन मेमोरियल अस्पताल (Ruban Memorial Hospital) की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला (Workshop) का आयोजन किया गया. मरीजों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा पर बात करते हुए अस्पताल के चेयरमैन डॉ. सत्यजीत कुमार सिंह ने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद हर सेंकेंड मरीजों की मौतें होती हैं.

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रुबन मेमोरियल अस्पताल के निदेशक डॉ. सत्यजीत कुमार सिंह ने कहा कि हजारों सालों से दवा एक साधारण सिद्धांत पर काम कर रही है. इलाज के दौरान यह देखा जाता है कि दवा कोई नुकसान ना करें. उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में तमाम मेडिकल साइंस में डेवलपमेंट के बावजूद हर घंटे हर सेकंड असुरक्षित देखभाल की वजह से मरीज की जान जा रही है.

रुबन मेमोरियल अस्पताल में कार्यशाला

डॉ. सत्यजीत ने कहा कि दुनिया भर में सभी अमीर और सभी गरीब देशों में एक ही समस्या है. दुनिया भर में अस्पताल में भर्ती 10 लोगों में से एक को सुरक्षा, विफलता या प्रतिकूल घटना का अनुभव होता है.

रुबन मेमोरियल अस्पताल के निदेशक ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस बार विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2021 के लिए जो थीम चुना गया है, वह है "सुरक्षित मातृत्व नवजात देखभाल". मातृत्व देखभाल लैंगिक समानता और हिंसा के मुद्दों से प्रभावित होती है. इसलिए प्रसव के दौरान महिलाओं के अनुभव में या तो उन्हें सशक्त बनाने या उन्हें नुकसान और भावनात्मक आघात पहुंचाने की क्षमता होती है. इसलिए इस बार नारा दिया गया है कि सुरक्षित और सम्मानजनक प्रसव के लिए अभी से कार्य करें.

रुबन मेमोरियल अस्पताल की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मोनालिसा ने कहा कि प्रेगनेंसी से सभी महिलाए एक बार अपने जीवन में जरूर गुजरती हैं. विश्व में प्रतिदिन 810 महिलाएं प्रसव के दौरान जान गंवा देती हैं. उन्होंने कहा कि इससे बचा जा सकता है, इसके लिए छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना होगा कि महिलाओं को नियमित डॉक्टर की कंसल्ट में रहना चाहिए. साथ ही एक धारणा बन गई है कि प्रसव पीड़ा कम करने के लिए सर्जरी का सहारा ले लिया जाए. मगर यह जच्चा और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.

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वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ नीता केवलानी ने कहा कि विश्व भर में प्रतिदिन 7000-9000 शिशु की मौत होती है और लगभग हर साल 2 मिलियन बच्चे मृत पैदा होते हैं, जिसमें 40 फीसदी से अधिक प्रसव के दौरान होते हैं. उन्होंने कहा कि जन्म के बाद होने वाले बच्चों में मृत्यु की घटनाएं काफी हद तक टाली जा सकती हैं. इसके लिए सहायक वातावरण में काम करने वाले कुशल स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के माध्यम से सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण देखभाल की जरूरत है

आपको बताएं कि विश्वभर में आज यानी 17 सितंबर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को जागरूक करना और रोगी सुरक्षा के बारे में समन्वय और कार्रवाई के साथ-साथ वैश्विक समझ बढ़ाना है. इसकी शुरुआत विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा 25 मई 2019 को ‘रोगी सुरक्षा पर वैश्विक कार्रवाई’ प्रस्ताव को अपनाकर की गई थी. जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य सभा के समर्थन से प्रतिवर्ष 17 सितंबर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा मई वर्ष 2019 में की गयी. डब्ल्यूएचओ ने 2019 में पहली बार विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया था.

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