पटनाः'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता', यह श्लोक बिहार में सौ फीसदी इसलिए भी मान्य है कि माता सीता की धरती कहे जाने वाले बिहार में आज भी इसकी प्रासंगिकता को जीवंतता मिलती है. प्रदेश में महिलाओं के लिए सिर्फ महिला दिवस के मौके पर ही सम्मानित शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया, बल्कि सनातन व्यवस्था और धर्म में कही गयी बातों का भी अनुसरण किया गया. बदली परिस्थितियों, समय और परिवेश के बाद वर्तमान हालातों के सियासत में भी महिलाओं को हिस्सेदारी देने में बिहार कभी पीछे नहीं रहा.
2005 में नीतीश कुमार ने जब बिहार की कमान संभाली उसी समय इस बात का एलान किया था कि पंचायत और नगर निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा. नीतीश कुमार गद्दी पर बैठे तो इसे जमीनी हकीकत भी दी गई. हालांकि, महिलाओं की मांग को आगे बढ़ाते हुए बिहार में सरकारी नौकरियों में भी 35 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया.
महिलाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण
सबसे पहले पुलिस बहाली में महिलाओं की भूमिका और भागीदारी सुनिश्चित की गई. 2008 से 2012 के बीच पुलिस बल में 33 फीसदी का आरक्षण महिलाओं को दिया गया. इससे पूरी एक महिला बटालियन ही बिहार में तैयार की गई.
शराब बंदी कर नीतीश सरकार ने महिलाओं से किया पूरा वादा
महिला सशक्तिकरण और बिहार में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार की बड़ी घटनाओं का मूल कारण शराब हुआ करता था. इसको लेकर बिहार की महिलाओं ने नीतीश कुमार से अनुरोध भी किया था कि प्रदेश में शराबबंदी की जाए. नीतीश कुमार ने कहा भी था कि अगर हमारी सरकार बनी तो बिहार में शराबबंदी लागू होगी.
2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद देशभर में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई. बिहार ऐसा करने वाला पहला राज्य बना जिसने महिलाओं के लिए शराबबंदी को समर्पित किया. नीतीश कुमार लगातार ये बात कहते थे कि शराबबंदी से महिलाओं की उन्नति होगी और इसका असर भी समाज पर साफ-साफ दिखा.
महिलाओं को समर्पित शराबबंदी और दहेज बंदी
महिलाओं को समाज में सम्मान देने, महिलाओं की आर्थिक उन्नति और दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए भी नीतीश कुमार ने बिहार में पूर्ण रूप से दहेज बंदी कानून लागू किया. इसमें दहेज लेना कानूनन अपराध था, जो महिलाओं की उन्नति और सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा उदाहरण भी बना.
बेटियों को स्कूल पहुंचाने का अभियान
इसके अलावा बिहार में कई ऐसी योजनाएं हैं जो महिलाओं को समर्पित है. जिससे महिलाओं को आगे ले जाया जा सके. नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' के नारे ने काफी सुर्खियां बटोरी. लेकिन उससे पहले बिहार में लड़कियों के लिए विद्यालय जाने के लिए साइकिल, पोशाक योजना जैसी योजनाएं चला कर नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण की एक और बड़ी परिभाषा लिख दी थी.
बिहार में महिला विकास को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.