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'भाड़े के लिए भी नहीं थे पैसे.. कर्ज लेकर सुपौल से जनता दरबार पहुंची.. फिर भी नहीं मिले CM नीतीश' - cm nitish in Janta Darbar

भाड़े के लिए पैसा नहीं होने के कारण कर्ज लेकर सुपौल से पटना पहुंचीं शांति देवी को मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया. उन्होंने बताया कि दबंगों ने उनकी जमीन पर कब्जा जमा लिया है. विरोध करने पर उनका हाथ भी तोड़ दिया. लेकिन रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी मुझे जनता दरबार में जानें नहीं दिया जा रहा है.

सुपौल से पहुंची महिला फरियादी
सुपौल से पहुंची महिला फरियादी

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Published : Aug 9, 2021, 1:06 PM IST

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जनता दरबार (Janta Darbar) में लोगों की समस्याओं को सुन रहे हैं. दूर-दूर से फरियादी अपनी फरियाद लेकर उनसे मिलने पहुंचे हैं, लेकिन उन्हें काफी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. सुपौल से कर्ज लेकर एक महिला पहुंची, लेकिन बावजूद इसके वो मुख्यमंत्री से नहीं मिल सकी.

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सुपौल के छातापुर से चलकर सीएम नीतीश से मिलने की उम्मीद में पटना पहुंची शांति देवी ने बताया कि उनके पास गाड़ी भाड़ा के पैसे भी नहीं थे. 2 हजार रुपये कर्ज लेकर वे यहां पहुंची हैं, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया जा रहा है.

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"मैंने मेहनत-मजदूरी कर जमीन खरीदी थी, लेकिन दबंगों ने उस पर कब्जा कर लिया. थाने में शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. विरोध करने पर दबंगों ने उनके साथ मारपीट की और हाथ तोड़ दिया है. इसके इलाज में 30 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं. यहां आने के लिए हमने 2 हजार रुपये भाड़े के लिए कर्ज लिया है. लेकिन रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद भी हमें मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया जा रहा है."- शांति देवी, सुपौल से पहुंचीं फरियादी महिला

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शांति देवी रजिस्ट्रेशन के कागजात भी साथ लेकर पहुंची थी. उन्होंने कागजात दिखाए भी, लेकिन प्रशासन के द्वारा उन्हें संभवत जानकारी नहीं दी गई है, इसलिए जनता दरबार में जाने में उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत इस बार सीएम से मिलने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो गई, लिहाजा फरियादियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज एक बार फिर जनता दरबार में लोगों की शिकायतें सुन रहे हैं. सीएम आज शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण, विज्ञान एवं प्राद्योधिकी विभाग, सूचना प्रावैधिकी विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, वित्त विभाग, श्रम संसाधन विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित शिकायतें सुन रहे हैं.
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