पटना:बोचहां विधानसभा उपचुनाव(Bochaha Assembly By Election) में बीजेपी ने बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाकर वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि या तो वह उनकी शर्तों पर सियासत करना स्वीकार कर लें या फिर खुद को एनडीए से बाहर समझें. हालांकि सहनी ने जिस अंदाज में बीजेपी की चुनौती को स्वीकार किया है, उससे लगता नहीं है कि वे हथियार डालने के मूड में हैं लेकिन जो जमीनी हकीकत है, वह वास्तव में उनके अनुकूल नहीं दिख रही है. जानकार कहते हैं कि 'सन ऑफ मल्लाह' की 'नाव' अबकी बार बुरी तरह से मझधार में फंसती दिख रही है. बड़ा सवाल ये है कि क्या मुकेश सहनी एनडीए छोड़ देंगे (Mukesh Sahani Leave NDA)?
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यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.
किंग मेकर बनने का ख्वाब टूटा:हालांकि यूपी में जिन सीटों पर मुकेश सहनी ने जीत का दावा किया था, वहां वीआईपी को जमानत बचाना भी मुश्किल हो गया. 165 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा करने के बाद सहनी ने उत्तर प्रदेश में 53 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. यहां तक कि सहनी ने बीजेपी के दो सिटिंग विधायकों को भी टिकट देकर चुनाव लड़ाया लेकिन दोनों सीटिंग विधायक कुछ कमाल नहीं कर पाए. बलिया के बैरिया से वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुरेंद्र सिंह चौथे स्थान पर रहे.
जब बनारस में उतरने भी नहीं दिया:यूपी विधानसभा चुनाव के ऐलान से काफी पहले के एक घटनाक्रम का जिक्र करना बहुत अहम हो जाता है, क्योंकि इसी से समझा जा सकता है कि बीजेपी और योगी सरकार किस कदर मुकेश सहनी से नाराज थी. दरअसल, साल 2021 में जुलाई के महीने में सहनी यूपी के 18 प्रमंडलों में फूलन देवी की प्रतिमा स्थापित करना चाहती थी. इसके लिए जब वह बनारस पहुंचे तो एयरपोर्ट से उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया गया. एयरपोर्ट से उन्हें कोलकाता की फ्लाइट में बिठाकर बैरंग लौटा दिया गया. साथ ही प्रशासन ने सभी प्रतिमाएं भी जब्त कर लीं.
नहीं मिला विधायकों का साथ: इस घटना के बाद मुकेश सहनी काफी नाराज हुए और बीजेपी के खिलाफ तेवर कड़े कर लिए. सरकार में अपनी ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश लेकिन उनको अपने ही विधायकों का साथ नहीं मिला. साहेबगंज से वीआईपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि उनका यूपी जाना सामूहिक निर्णय नहीं था. साथ ही एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कह दिया कि एनडीए विधायकों की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला समझ से परे है. यह उनका निजी फैसला है. इसके बाद धी-धीरे सहनी के तेवर नरम पड़ने लगे, क्योंकि ये साफ हो गया था कि उनके विधायक उनके साथ नहीं हैं. वैसे भी 4 में ज्यादातर विधायक बीजेपी बैकग्राउंड से आते हैं.
तेजस्वी यादव को बताया छोटा भाई: यूपी चुनाव की तैयारियों में मशगूल मुकेश सहनी ने बीच-बीच में अपने बयानों से कई बार बीजेपी और एनडीए सरकार को असहज स्थिति में ला दिया. खासकर जब एक तरफ बीजेपी और जेडीयू में तल्खी बढ़ रही थी और दूसरी तरफ आरजेडी अपनी सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रही थी, उस दौरान सहनी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को छोटा भाई बता दिया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर खिचड़ी पकेगी तो सभी लोग खाएंगे. खेला होगा तो खेलेंगे. उनके इस बयान के बाद तो बिहार बीजेपी के नेताओं ने खुलकर सहनी पर हमले तेज कर दिए.
एमएलएसी चुनाव में वीआईपी को झटका:उत्तर प्रदेश में चुनाव चल ही रहा था कि बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों को लेकर एनडीए ने सीटों का ऐलान किया. सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला सामने आया, उसमें सहनी के लिए कड़ा संदेश था. बीजेपी के हिस्से 12 सीटें आईं और जेडीयू के खाते में 11 सीटें गईं. बीजेपी ने अपने कोटे से केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को एक सीट दी लेकिन वीआईपी को बिल्कुल भी भाव नहीं दिया. जिसके बाद नाराज होकर मुकेश सहनी ने ऐलान कर दिया कि वीआईपी विधान परिषद की सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
7 सीटों पर वीआईपी उम्मीदवार: हालांकि 24 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले मुकेश सहनी ने मात्र सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वीआईपी की सूची के मुताबिक समस्तीपुर से आदर्श कुमार, बेगूसराय से जयराम सहनी, सहरसा से चंदन कुमार, सारण से बालमुकुंद चौहान, रोहतास से गोबिंद बिंद, पूर्णिया से श्यामा नंद सिंह और दरभंगा से बैद्यनाथ सहनी को अपना उम्मीदवार बनाया गया है.
बीजेपी नेताओं ने मांगा इस्तीफा: यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मिली बंपर जीत से उत्साहित बिहार बीजेपी के नेताओं ने रिजल्ट आते ही मुकेश सहनी पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए. विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री भी हैं. लिहाजा नैतिकता के आधार पर उनको इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहनी को बर्खास्त करने तक की मांग कर दी. ऐसा बोलने वाले बीजेपी के एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों नेता हैं.
मुकेश सहनी का बीजेपी पर पलटवार: अपने ऊपर हो रहे लगातार जुबानी हमलों के बीच मुकेश सहनी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर हिम्मत है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग कर दिखाए, क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने उत्तर प्रदेश और मणिपुर में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ी है. सहनी ने आगे कहा कि उन्हें कमजोर समझकर इस्तीफा मांगा जाता है लेकिन हमारी पार्टी ने बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और हमने अपने 4 विधायकों का समर्थन लिखकर राज्यपाल को दिया था.
लालू के लिए धड़का सहनी का दिल: इसी दौरान एक हफ्ते पहले झारखंड में अपनी पार्टी को लॉन्च करने गए मुकेश सहनी ने रांची में आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD Chief Lalu Yadav) की जमकर तारीफ की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'लालू प्रसाद यादव जी उनके दिल में बसते हैं और वे उनके विचारधारा से काफी प्रभावित हैं. लालू प्रसाद गरीबों का कल्याण करने वाले और सामाजिक न्याय को मानने वाले लोग हैं.'