पटना: ऐसे तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के अंदाज की नकल उनके बेटे तेज प्रताप करते हैं, लेकिन हू-ब-हू नकल करना मुश्किल ही नहीं असंभव है. मंच से भाषण देने के दौरान हो या फिर अनोखे अंदाज में सड़क पर निकल जाने का वाकया, तेजप्रताप यादव की कोशिश होती है कि लालू प्रसाद के अंदाज में सुर्खियों में बने रहें. हाल ही में तेज प्रताप के सपने में मुलायम सिंह यादव आये थे. सपने में ही उन्होंने तेज प्रताप को साइकिल से चलने की नसीहत दी थी. फिर क्या था, तेज प्रताप साइकिल से बाहर निकले और मीडिया के सुर्खियों छाये रहे. लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद बिहार में होली की हुडदंग में अंदाज-ए-लालू तो नहीं रहा, लेकिन उनके बड़े बेटे तेजप्रताप ने भरपूर कोशिश की. लालू प्रसाद के अंदाज ए होली की परंपरा बरकरार रहे.
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क्या था लालू प्रसाद का अंदाज-ए-होली: बिहार में लगभग सभी नेता होली मिलन का आयोजन करते हैं. लेकिन लालू प्रसाद यादव की होली खास होती थी. लालू की होली में सबसे खास था अंदाज-ए-लालू. होली के दिन सुबह से लालू राबड़ी आवास का दरवाजा आम लोगों के लिए खोल दिया जाता था. आम लोगों के साथ-साथ मीडिया का जमावड़ा लगता था और फिर शुरू होता था लालू की हुडदंग होली. रंग अबीर के साथ साथ मिट्टी, गोबर और अंत में कुत्ता फाड़ने की शुरुआत लालू प्रसाद यादव ही करते थे. फिर शुरु हो जाता था कुर्ता फाड़ होली. इस दौरान लौंडा नाच होता रहता था और लालू जी भिखारी ठाकुर का हवाला देकर लौंडा नाच के जरिये अपने समर्थकों को संदेश देते रहते थे. लालू प्रसाद की होली खास होती थी, जो उनके समर्थकों में उत्साह का संचार करती थी.
इस वजह से बंद हो गई कुर्ता फाड़ होली: चारा घोटाले में वर्ष 2016 के बाद जेल जाने के बाद लालू प्रसाद यादव की होली पर विराम लगा. लालू जी जेल जाने के बाद अस्वस्थ भी रहने लगे. कभी जमानत पर भी बाहर रहे तो उन्होंने अपने अंदाज में बदलाव ला दिया. लालू प्रसाद यादव अंदाज-ए-होली के बारे में बताते हुएवरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय का कहना है कि ''वो शुद्ध रूप ले गांव-गवई वाला अंदाज में होली को महसूस कराते थे. वे आम तौर पर अपने अंदाज के दम पर वोटरों को कनेक्ट करते थे. बिहार में होली के दौरान कुर्ता फाड़ने और लौंडा नाच की परम्परा रही है. लालू जी ऐसा कर जनता को अपने साथ बांध कर रखते थे.''
लालू यादव की परम्परा को बढ़ा रहे हैं तेजप्रताप: होली खेलने की परम्परा को आगे बढ़ाने की कोशिश में उनके बड़े बेटे तेजप्रताप जुटे हैं. पिछले दो वर्षों से कोरोना की वजह से होली का आयोजन नहीं हो सका, लेकिन इस बार तेजप्रताप भव्य तरीके से होली खेलने की तैयारी में हैं. हालांकि तेजप्रताप अपने पिता की कुर्ता फाड़ होली की बजाय लट्ठमार होली खेलेंगे. 8 मार्च की शाम उनके आवास पर वृन्दावन की तरह भव्य रासलीला होगी. तेजप्रताप अपने पिता की होली खेलने की परम्परा को आगे बढ़ाने की भरपूर कोशिश में जुटे हैं.
लालू जैसा रंग जमा पाएंगे तेजप्रताप? : जाने मानेराजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमारकी मानें तो बिहार की राजनीति का दूसरा लालू प्रसाद यादव कोई हो ही नहीं सकता. लालू जी का अपना अंदाज है, जिसकी कॉपी की नहीं जा सकती. डॉ संजयभी मानते हैं कि ''लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप अपने पिता की नकल तो जरुर करते हैं. लेकिन वो अब तक कामयाब नहीं हैं.'' वहीं वरिष्ठ पत्रकार अरुण अशेष भी ऐसा ही मानते हैं. उनके मुताबिक तेजप्रताप में जनता के बीच रहने वाला गुण मौजूद है. यह वही खासियत है जो लालू यादव में हमेशा से मौजूद रही है.
कुर्ता फाड़ होली की कॉपी नहीं, इसलिए लठमार होली?: बिहार में होली के मौके पर ऊंच-नीच, गरीब-अमीर के भेदभाव किए बगैर सबके साथ होली खेलने की परम्परा रही है. इसी परंपरा को लालू प्रसाद यादव न केवल निर्वहन किया बल्कि इसके जरिये अंदाज-ए-लालू की होली को स्थापित कर दिया. गरीब हो या अमीर, जो भी लालू प्रसाद से जुड़े होते थे वो लालू राबड़ी आवास होली के दिन जरूर जाते थे. उस दिन लालू-राबड़ी निवास का मुख्य द्वार सुबह से रात तक हर किसी के लिए खुला होता था. तेज प्रताप ने भी यही कोशिश जरूर की है, लेकिन लालू प्रसाद का वो नेचुरल अंदाज लाना आसान नहीं है. इसीलिए लालू प्रसाद यादव और उनकी कुर्ता फाड़ होली जरूर याद दिया जाता है.