पटना: मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी (RJD) में पिछले साल की कहानी फिर से दोहराती नजर आ रही है. तब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) का मामला था और इस बार बारी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) की है. इन दोनों मामलों में वजह कॉमन है, वे हैं आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्षलालू प्रसाद यादव (RJD President Lalu Prasad Yadav) के बड़े तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav).
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पिछली बार तेज प्रताप यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह को लेकर एक बयान दिया था और कहा था कि समंदर में से अगर एक लोटा जल निकल जाए तो इससे समंदर को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. रघुवंश सिंह इस बात से इतने आहत हुए कि उन्होंने लालू यादव को सीधे अपना इस्तीफा भेज दिया. उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें बेकार साबित हुई थी.
इस बार भी तेजप्रताप यादव ने एक कार्यक्रम के दौरान नाम लेकर जगदानंद सिंह पर हिटलर शाही करने का आरोप लगाया है. इस बयान के अगले रोज से ही जगदा बाबू पार्टी दफ्तर नहीं आ रहे हैं. माना जा रहा है कि वे नाराज हैं. नाराजगी का आलम ये है कि वे स्वतंत्रता दिवस पर भी झंडा फहराने आरजेडी ऑफिस नहीं आए.
जेडीयू नेता अभिषेक झा (JDU leader Abhishek Jha) कहते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल में बड़े नेताओं को बेइज्जत करने की प्रथा लालू यादव ने शुरू की थी. अब उस प्रथा को उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव आगे बढ़ा रहे हैं.
अभिषेक झा ने कहा कि तेजप्रताप ने एक बार नहीं, बल्कि बार-बार जगदानंद सिंह पर सार्वजनिक मंच से प्रहार किया. जिसकी वजह से अब उन्होंने दफ्तर आना ही छोड़ दिया. जेडीयू नेता का दावा है कि तेज प्रताप पर कोई कार्रवाई आरजेडी की ओर से नहीं होगी.
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हालांकि आरजेडी उनकी नाराजगी की खबरों को गलत बताता है. पार्टी दफ्तर पहुंचे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी जगदानंद सिंह की नाराजगी के सवाल पर कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, यह सब अटकलबाजी है और एक अटकलबाजियों का कोई जवाब नहीं होता.
तेजस्वी चाहे जो भी कहें, लेकिन क्या यह महज एक संयोग है कि 8 अगस्त को आरजेडी प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान तेज प्रताप यादव ने जगदानंद सिंह को मंच से ही हिटलर करार दिया और उसके बाद से ही जगदानंद सिंह ने दफ्तर आना ही छोड़ दिया. उन्होंने खुद इस बात की पुष्टि की है कि वे पटना में मौजूद नहीं हैं.
एक तरफ तेजस्वी यादव यह दावा कर रहे हैं कि जगदानंद सिंह नाराज नहीं हैं, दूसरी तरफ जानकारी के मुताबिक लालू परिवार लगातार जगदानंद सिंह को मनाने में लगा है. सोमवार को पार्टी दफ्तर में तेजस्वी यादव ने वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक भी की है.
जगदानंद सिंह से लालू यादव की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं, लेकिन पिछले साल रघुवंश सिंह ने तेज प्रताप यादव के बयान से आहत होकर आखिरी वक्त में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और लाख मनाने पर भी अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया था. अबकी बार जगदानंद सिंह की नाराजगी भी कुछ ऐसे ही हालात की तरफ इशारा कर रही है.
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ऐसे में ये सवाल उठने लगा है कि क्या रघुवंश प्रसाद सिंह की तरह ही जगदानंद सिंह भी पार्टी से मुंह मोड़ लेते हैं या उन्हें मनाने में लालू और तेजस्वी कामयाब होते हैं. सवाल तो ये भी है कि बार-बार वरिष्ठ नेताओं का अपमान करने वाले तेजप्रताप पर पार्टी कोई कार्रवाई करेगी या पिछली बार की तरह ही उन्हें बिना मांगे 'माफी' दे देगी.