पटना: बिहार में शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का 27 अगस्त से आवेदन आना शुरू हो गया है. जबकि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के लिए आवेदन की प्रक्रिया 18 सितंबर से शुरू हो रही है. हालांकि नियोजन प्रक्रिया में पिछली बार की धांधली से सीख लिए बिना उसी ढर्रे पर नियोजन की प्रक्रिया अपनाई गई है. जिस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. हालांकि सरकार की तरफ से इससे निपटने का दावा किया गया है.
बिहार में पिछले कई साल से शिक्षक नियोजन की निगरानी जांच चल रही है. जांच प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक पकड़े गए, जो फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे थे. हाईकोर्ट ने इस मामले की मॉनिटरिंग शुरू की. कई बार हाईकोर्ट के आदेश के बाद हजारों की संख्या में फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों ने खुद इस्तीफा दे दिया. लेकिन अब भी बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक मौजूद हैं, जिन पर निगरानी विभाग कार्रवाई नहीं कर पायी है.
70 हजार से ज्यादा शिक्षकों का डाटा गायब
जानकारी के मुताबिक 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं. फोल्डर, यानी शिक्षकों की योग्यता से संबंधित कागजात जो विभिन्न नियोजन इकाइयों में जमा किया गया था. इस मामले में सीधे-सीधे नियोजन इकाई के प्रमुख या कई जगहों पर संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी या जिला शिक्षा पदाधिकारी भी संदेह के घेरे में है.
अयोग्य अभ्यर्थी बने शिक्षक
वहीं, छात्र नेता अशोक क्रांति ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे पदाधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अशोक क्रांति ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पिछली बार बड़ी संख्या में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा हुआ था. फर्जी डिग्री और पैसे के बल पर बड़ी संख्या में बिना योग्यता वाले शिक्षक बन गए. जबकि योग्य अभ्यर्थी काउंसिलिंग के बावजूद शिक्षक नहीं बन पाए. इसके अलावे मेरिट लिस्ट और मेधा सूची प्रकाशन में नियोजन इकाइयों ने जमकर धांधली की. नियोजन के समय निचले स्थान पर रहने वाले अयोग्य अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र थमा दिया गया.