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केंद्र ने खड़े कर दिए हाथ, तो क्या अब अपने खर्च पर जातीय जनगणना कराएगा बिहार? - central government

बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर शुरू हुआ विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. जब से केंद्र सरकार के हलफनामे की बात सामने आई है, तब से विपक्ष सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से जवाब की उम्मीद लगाए बैठा है. इस बीच यह चर्चा भी है कि अगर केंद्र ने हाथ खड़े कर दिए तो क्या बिहार सरकार अपने स्तर से जातीय जनगणना करा सकती है?

जातीय जनगणना
जातीय जनगणना

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Published : Sep 25, 2021, 6:03 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 6:44 PM IST

पटना:केंद्र सरकार ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि जातीय जनगणना(Caste Census) वर्ष 2021 में कराना संभव नहीं है, क्योंकि यह काफी मुश्किल भरा काम है. इधर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव(Tejashwi Yadav) ने देश के 33 प्रमुख समान विचारधारा वाले नेताओं को पत्र लिखा है. बीजेपी (BJP) को छोड़कर बाकी सभी दलों के नेताओं को चिट्ठी लिखकर उन्होंने ने जातिगत जनगणना पर समर्थन मांगा है. साथ ही कहा कि मोदी सरकार का रुख इसको लेकर सही नहीं है.

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आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने यह भी कहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की प्रतिक्रिया का इंतजार है, जिसके बाद वे आगे के एक्शन प्लान के बारे में बात करेंगे. वहीं, कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा कि अगर केंद्र सरकार तैयार नहीं होती है तो सीएम को कड़ा फैसला लेना चाहिए और बिहार को अपने स्तर से चाहे जो भी खर्च हो, जातीय जनगणना करानी चाहिए. कांग्रेस नेता ने तो ये भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने जातीय जनगणना की बिहार की मांग को ठुकरा दिया तो नीतीश कुमार को एनडीए (NDA) से अलग हो जाना चाहिए.

देखें रिपोर्ट

"जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए. जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया का हम सब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उसके बाद इस पर कोई निर्णय लेंगे"- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

"अगर केंद्र सरकार तैयार नहीं होती है तो सीएम को कड़ा फैसला लेना चाहिए और बिहार को अपने स्तर से चाहे जो भी खर्च हो, जातीय जनगणना करानी चाहिए. मैं तो मानता हूं कि अगर प्रधानमंत्री ने जातीय जनगणना की बिहार की मांग को ठुकरा दिया तो नीतीश कुमार को एनडीए से अलग हो जाना चाहिए"- प्रेमचंद्र मिश्र, प्रवक्ता, कांग्रेस

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एनडीए के नेता इस मामले में संभलकर बयान दे रहे हैं. जेडीयू (JDU) ने तो साफ कहा है कि वह प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया के इंतजार में है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि हमें अब भी पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सकारात्मक प्रतिक्रिया का इंतजार है. हालांकि जेडीयू सांसद सुनील कुमार ने कहा है कि इस मुद्दे पर हम लोग समझौता नहीं कर सकते हैं. हर हाल में जातीय जनगणना होगी, सत्ता से ज्यादा हम लोगों के लिए जनता का हित जरूरी है.

"हमें अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया का इंतजार है. हमें उम्मीद है कि पीएम जातीय जनगणना पर कोई सकारात्मक निर्णय लेंगे"- अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू

"नीतीश कुमार को सिर्फ जनता की सेवा से मतलब है, हम लोगों की नजर में सत्ता का मतलब यही है. ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे पर हमलोग बीजेपी से गठबंधन तोड़ देंगे, लेकिन जातीय जनगणना हमलोग हर हाल में करवा कर रहेंगे"- सुनील कुमार पिंटू, सांसद, जेडीयू

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दरअसल इस मामले में काफी पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी संकेत दिए थे कि अगर केंद्र सरकार से सहयोग नहीं मिला तो हम अपने स्तर से जातीय जनगणना के बारे में विचार करेंगे. इस बात को लेकर कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने भी सवाल उठाए हैं कि जब नीतीश कुमार पहले यह कहते रहे हैं कि हम अपने स्तर से जनगणना करा सकते हैं तो फिर पीछे क्यों हट रहे हैं. इधर बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि अगर कोई राज्य अपने स्तर से जातीय जनगणना कराना चाहे तो इसके लिए कहीं कोई रोक नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री से बिहार के राजनीतिक दलों ने मुलाकात की है तो उन्हें पीएम की प्रतिक्रिया का भी इंतजार करना चाहिए.

"कोई राज्य अपने स्तर से जातीय जनगणना कराना चाहे तो इसके लिए कहीं कोई रोक नहीं है. वैसे अगर प्रधानमंत्री से बिहार के राजनीतिक दलों ने मुलाकात की है तो उन्हें पीएम की प्रतिक्रिया का भी इंतजार करना चाहिए"- प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी

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वहीं, इस बारे में बिहार की राजनीति को नजदीक से देखने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि यह समझना जरूरी है कि आखिर कर्नाटक ने जब जातीय जनगणना कराई तो उसका नतीजा क्या हुआ. वे कहते हैं कि बिहार पहले से ही गरीब राज्य है. जातीय जनगणना के लिए जितनी बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी और जितना बड़ा मानव बल चाहिए, वह उपलब्ध कराना बिहार के लिए आसान नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जातीय जनगणना के लिए जो तर्क राजनीतिक दल दे रहे हैं, वह भी समझ से परे है क्योंकि जितनी भी योजनाएं चलती हैं, उनका लाभ जाति के आधार पर नहीं बल्कि सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर दिया जाता है.

"हम सब के लिए यह समझना जरूरी है कि आखिर कर्नाटक ने जब जातीय जनगणना कराई तो उसका नतीजा क्या हुआ. पहले से ही बिहार गरीब राज्य है. ऐसे में जातीय जनगणना के लिए बड़ी राशि खर्च करना और उस पर संसाधन को लगाना, आसान नहीं होगा. वैसे जातीय जनगणना के लिए जो तर्क राजनीतिक दल दे रहे हैं, वह मेरे समझ से परे है"- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

Last Updated : Sep 25, 2021, 6:44 PM IST

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