विपक्षी एकजुटता की राह आसान नहीं पटना:विपक्षी एकजुटता की बात जब भी होती है तो जेपी को जरूर याद किया जाता है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक बार फिर से जेपी की चर्चा की है. जेपी ने कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष को एकजुट किया था, वहीं आज बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की बात हो रही है. इसलिए महागठबंधन के नेता जेपी को आज भी प्रासंगिक बता रहे हैं. जेपी ने बिहार से संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था. जयप्रकाश ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक और अध्यात्मिक क्रांति का ऐलान किया था. परिवर्तन के साथ नव निर्माण की भी बात की और व्यवस्था परिवर्तन की बात उस समय की गई थी, जब इंदिरा गांधी सत्ता में थी और उन्होंने आपातकाल लगाया था. आज विपक्ष की ओर से सभी दल चाहते हैं बीजेपी शून्य पर आउट हो जाए. ये कोशिश है कि नरेंद्र मोदी को 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोका जाए.
ये भी पढ़ें:Opposition Unity: 'बीजेपी को जीरो बनाना है..', नीतीश से मुलाकात के बाद बोलीं ममता.. अखिलेश ने कहा- 'BJP हटे देश बचे'
जेपी की भूमिका में नीतीश कुमार:विपक्षी एकजुटता की दिशा में सबसे बड़ी बाधा ये है कि ज्यादातर पार्टियां कांग्रेस के साथ आना नहीं चाहती. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस के बिना विपक्ष के किसी गठबंधन के खिलाफ है. इसलिए कांग्रेस के साथ-साथ तमाम विपक्षी दलों को साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है. अप्रैल महीने में ही विपक्षी एकजुटता के लिए बिहार से बाहर दो बार दौरा कर चुके हैं. 11 अप्रैल को दिल्ली गए थे और 3 दिनों का दौरा हुआ, जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से लंबी बातचीत हुई. रणनीति के तहत एक-एक कर विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं. जो कांग्रेस के साथ नहीं जाना जाते हैं, वैसे दलों के नेताओं से भी नीतीश मिल रहे हैं.
विपक्षी नेताओं से मुलाकातों का दौर:नीतीश ने पहले अरविंद केजरीवाल से दिल्ली के तीन दिवसीय दौरे में मुलाकात की थी. केजरीवाल ने भी नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता का समर्थन किया था. 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री कोलकाता जाकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और उसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ भी गए. ममता बनर्जी और अखिलेश ने भी नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता अभियान का समर्थन किया है.
नीतीश कुमार में विपक्ष को एकजुट करने की क्षमता: ममता बनर्जी ने तो एक कदम आगे बढ़कर विपक्षी एकजुटता में जेपी की भी चर्चा कर दी. ममता बनर्जी ने कहा कि जेपी ने बिहार से ही आंदोलन शुरू किया था. इसलिए विपक्षी एकजुटता की बैठक बिहार में ही होनी चाहिए और वहीं सब कुछ तय होना चाहिए. बिहार में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनाया गया है. जेडीयू प्रवक्ता राहुल शर्मा का कहना है कि जेपी आज भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि देश में अघोषित आपातकाल आज लागू है. नीतीश कुमार जेपी के अनुयायी हैं, विपक्षी एकजुटता में नीतीश कुमार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और बिहार में महागठबंधन का मॉडल जो बना है, उसे पूरे देश में मैसेज जा रहा है. वहीं, मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं. वह इतिहास को दोहरा रहे हैं.
"बिहार में क्षमता है और नीतीश कुमार अगुवाई कर रहे हैं. विपक्षी एकजुटता की जो बात ममता बनर्जी ने कहा है, वह तो स्वागत योग्य है. हर समय की परिस्थितियां अलग होती है. उस समय भी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी और आज भी व्यवस्था के खिलाफ विपक्षी एकजुटता हो रही है तो इतिहास दोहरा रहा है"-लेसी सिंह, जेडीयू नेता सह मंत्री
विपक्षी एकता की बात में दम नहीं: हालांकिबीजेपी प्रवक्ता अजफर शमशी का कहना है कि जेपी बड़े शख्सियत थे. बिहार की चर्चा देश दुनिया में होती है लेकिन जेपी ने कांग्रेस को हटाने के लिए विपक्ष को एकजुट किया था और नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष को एकजुट करना चाह रहे हैं. उनकी यह कोशिश कामयाब नहीं होने वाली है. विपक्ष के 10 दलों में 20 गुट हैं.
"जेपी से नीतीश कुमार की तुलना करना बेमानी होगी. विपक्ष की एकजुटता चूचू का मुरब्बा है. इनका दूल्हा कौन है किसी को पता नहीं. जब भी देश में विपक्ष एकजुट हुआ है स्थिर सरकार नहीं दिया है. कुछ लोग दिन-रात प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते रहते हैं लेकिन सपना कभी पूरा नहीं होगा, क्योंकि प्रधानमंत्री का पद खाली नहीं है"- अजफर शमशी, प्रवक्ता, बीजेपी
1977 की तरह एकजुट होना होगा:वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि महागठबंधन बिहार में जिस प्रकार से बना है, उससे एक मैसेज गया है. हालांकि जब तक सभी दल अपना स्वार्थ और पार्टी हित छोड़कर नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुट नहीं होंगे, तबतक बीजेपी को हराना मुश्किल होगा. 1977 की तरह सभी दलों को एकजुट होनो होगा. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से जेपी की चर्चा करते हुए बिहार से एकजुटता की बात कही है, उसको लेकर नीतीश कुमार को ही पहल करनी होगी तभी सफलता मिलेगी.
बिहार में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट:बिहार में महागठबंधन में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस सहित अधिकांश दल शामिल हैं. बिहार में 7 दल महागठबंधन में शामिल हैं, जबकि बीजेपी के अलावे केवल एआईएमआईएम विपक्ष में हैं लेकिन वह भी बीजेपी के विरोध में रहती है. नीतीश कुमार बिहार की तरह देश में अधिक से अधिक राज्यों में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के सभी दलों को एक साथ करना चाहते हैं, जिससे लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार दिया जाए.
विपक्षी एकजुटता की राह आसान नहीं:आपको बताएं कि बिहार में महागठबंधन के बड़े नेता नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जेपी मूवमेंट के छात्र आंदोलन से ही निकले हुए नेता हैं. पिछले 30 सालों से भी अधिक समय से बिहार में दोनों नेताओं के दलों का शासन रहा है. वैसे तो नीतीश कुमार ने बीजेपी के सहयोग से ही लालू प्रसाद यादव को हटाकर बिहार की सत्ता पर कब्जा किया था लेकिन अब बिहार में महागठबंधन की सरकार है. लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव उनकी सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं. बिहार में महागठबंधन बनाने के बाद पूरे देश में महागठबंधन की तर्ज पर विपक्ष को एकजुट करना चाहते हैं लेकिन पिछले 8 महीनों में अभी नेताओं से मिलने जुलने का ही कार्यक्रम हो रहा है. हालांकि लोकसभा चुनाव में लगभग एक साल का समय बचा है. जेपी की भूमिका में नीतीश के लिए कांग्रेस को साथ रखकर विपक्ष को एकजुटता करना आसान नहीं होगा.