पटना:कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) जब सीपीआई (CPI) में थे और अब जबकि वे कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, उसके बाद भी स्थिति कुछ खास नहीं बदली हैं. तेज तर्रार युवा नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले कन्हैया को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की असहजता कई बार देखने को मिली है. एक बार फिर उपचुनाव (By-elections) के प्रचार में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. तेजस्वी 16 तारीख से ही तारापुर और कुशेश्वरस्थान (Tarapur and Kusheshwarsthan) में प्रचार करते रहे लेकिन जब 23 अक्टूबर को कुशेश्वरस्थान में उनका चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था, उस दिन से कांग्रेस के स्टार प्रचारक कन्हैया के चुनाव प्रचार का आगाज हुआ है.
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जाहिर है दोनों नेता एक-दूसरे के सामने आने से बचते रहे हैं. यही वजह है कि एक बार फिर यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों दोनों नेताओं का चुनाव प्रचार अलग-अलग वक्त में हुआ है. कहीं इसके पीछे कांग्रेस और आरजेडी के बीच भीतरखाने सहमति तो नहीं है.
हालांकि इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषक कुछ और कह रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने कहा कि कन्हैया कुमार का नाम सुनते ही आरजेडी के बोल बदल जाते हैं. पहले भी कई मौकों पर तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय जनता दल अपनी असहजता प्रकट कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि जब से कांग्रेस में कन्हैया की एंट्री हुई है, उसके बाद से ही कांग्रेस और आरजेडी के बीच प्रदेश स्तर पर तनाव और ज्यादा मुखर हो गया है.
"कन्हैया कुमार का नाम सुनते ही राजद के बोल बदल जाते हैं. पहले भी कई मौकों पर तेजस्वी और राष्ट्रीय जनता दल अपनी असहजता प्रकट कर चुके हैं. जब से कांग्रेस में कन्हैया की एंट्री हुई है, उसके बाद से ही कांग्रेस और राजद के बीच प्रदेश स्तर पर तनाव और ज्यादा बढ़ गया है"-रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक