4 वर्षीय स्नातक कोर्सेज की पढ़ाई पटना: नई शिक्षा नीति के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र से देश के सभी विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय स्नातक कोर्सेज की पढ़ाई शुरू होने जा रही है. बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए राजभवन में पांच सदस्यीय समिति बनाई है और इसकी बैठक मंगलवार को संपन्न हुई. विभिन्न विश्वविद्यालयों के अधिकारियों से जो जानकारी मिल रही है, इस नए 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में भारत की साहित्य, कृषि दर्शन, औषधीय प्रणाली, ज्योतिषीय उपकरण और मूर्ति पूजा समेत कई विषयों की पढ़ाई होगी. शिक्षाविद जहां इसे एक बेहतर पॉलिसी बता रहे हैं, वही कई छात्र संगठन इस कोर्सेज के विभिन्न प्रारूपों पर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.
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देशभर में 4 वर्षीय स्नातक कोर्स :बिहार में पटना विश्वविद्यालय ही एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है यहां स्नातक कोर्सेज सीबीसीएस पैटर्न पर चल रहे हैं. यहां 4 वर्षों का सीबीसीएस पेटर्न पर नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक कोर्सेज को शुरू करने में अधिक परेशानी नहीं है. लेकिन विश्वविद्यालय छात्र संघ इसका विरोध कर रहा है. विश्वविद्यालय छात्र संघ में सेंट्रल कमेटी के 5 सीटों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत चार सीटों पर छात्र जदयू का कब्जा है और छात्र जदयू इसका पुरजोर विरोध कर रहा है.
फीस को लेकर सर्कुलर जारी करने की मांग: छात्र जदयू से पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के कोषाध्यक्ष रविकांत कुमार ने बताया कि 3 साल का स्नातक कोर्स 4 साल का होने जा रहा है. इससे छात्रों को सबसे बड़ी आपत्ति है. वह यह है कि फीस दोगुने हो जाएंगे. पीयू के अलावा अन्य सभी विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन की पढ़ाई में तीन परीक्षाएं ली जाती हैं लेकिन अब आठ परीक्षाएं ली जाएंगी और इसके लिए फीस अधिक देना होगा.वहीं पटना विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत 4 वर्ष का स्नातक पाठ्यक्रम बहुत ही बेहतरीन पाठ्यक्रम है. यह पूरी तरह से छात्र हित में ही है.
"राजभवन की ओर से फीस को लेकर नया सर्कुलर जारी होना चाहिए और यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि वर्तमान फीस से अधिक फीस नहीं होगी. इसके अलावा नए स्नातक कोर्सेज के पाठ्यक्रम को लेकर भी आपत्ति है. इसमें कई ऐसे टॉपिक को जोड़ा जा रहा है जो छात्रों को प्रासंगिक नहीं लगता जैसे की ज्योतिषीय उपकरण और मूर्ति पूजा."-रविकांत कुमार, पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के कोषाध्यक्ष
"पूर्व में यह होता था कि छात्र 2 साल ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर चुका है और घर में कोई हादसा हो जाता है या कोई आकस्मिक कार्य पड़ जाता है और कुछ वर्षों के लिए उसकी पढ़ाई छूट जाती है, इसके बाद छात्र को फिर से 3 साल ग्रेजुएशन की पढ़ाई करनी पड़ती थी. पूर्व में उसने 2 साल जो पढ़ाई किया हुआ था वह बर्बाद हो जाता था. नई शिक्षा नीति के तहत 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में ऐसा नहीं होगा."- डॉक्टर अनिल कुमार,पटना विश्वविद्यालय के डीन
'4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम बेहद शानदार':प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार ने बताया कि 4 वर्षों के स्नातक पाठ्यक्रम में अगर छात्र 1 वर्ष की पढ़ाई करके पाठ्यक्रम छोड़ देता है तो उसे 1 साल के सर्टिफिकेट कोर्स का सर्टिफिकेट मिलेगा. अगर 2 वर्ष की पढ़ाई करने के बाद पाठ्यक्रम छोड़ता है तो उसे डिप्लोमा सर्टिफिकेट मिलेगा और 3 वर्ष की पढ़ाई करने के बाद छोड़ता है तो उसे स्नातक की डिग्री का सर्टिफिकेट मिलेगा और वह स्नातक स्तर के सभी परीक्षाओं में सम्मिलित होने का अधिकारी रहेगा. उन्होंने बताया कि 4 वर्ष जो स्नातक पाठ्यक्रम करेंगे उन्हें मास्टर्स सिर्फ 1 साल का करना होगा और जो 3 साल में स्नातक की डिग्री लेंगे उन्हें 2 साल का मास्टर्स पाठ्यक्रम पढ़ना होगा. जो बच्चे ऐकेडमिक में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम बेहद शानदार होगा.