पटना:लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तमाम विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे हैं. इसी दिशा में 28 दलों ने मिलकर इंडिया गठबंधन बनाया है. किसी को पीएम पद के कैंडिडेट के तौर पर प्रोजेक्ट किए बगैर गठबंधन की तीन बैठक हो चुकी है. हालांकि मुंबई में तीसरी बैठक के दौरान आरजेडी अध्यक्ष लालू यादवने राहुल गांधी का हाथ मजबूत करने की बात कहकर बड़ा इशारा कर दिया. इसके साथ ही चर्चा शुरू हो गई कि पहले नीतीश कुमार को आगे करने की बात करने वाले लालू अचानक कांग्रेस नेता की वकालत क्यों करने लगे? क्या लालू अपनी सियासी चाल के माध्यम से नीतीश कुमार का 'गेम ओवर' करने की प्लानिंग बना रहे हैं?
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पटना और मुंबई की बैठक में राहुल की तरफदारी:अब तक इंडिया गठबंधन की तीन बैठक हुई है. न तो संयोजक पद पर फैसला हुआ है और न ही प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का ऐलान हुआ है लेकिन लालू ने इशारों में राहुल गांधी को आगे बढ़ा दिया. लालू ने मुंबई की बैठक में कहा कि राहुल गांधी को काफी मजबूती के साथ विश्वास दिलाते हैं कि हमलोग एकजुट होकर बीजेपी को हराएंगे. उन्होंने कहा कि सभी लोगों से अपील करते हैं कि राहुल गांधी के हाथ को मजबूत करें. इससे पहले पुटना में कहा था कि राहुल जी को अब शादी कर लेनी चाहिए.
लालू के जाल में फंस गए नीतीश:लालू यादव और राहुल गांधी की मुलाकात और एक-दूसरे की तरफदारी पर बीजेपी का कहना है कि लालू प्रसाद यादव का पहले से गेम प्लान रहा है, कोई बदला नहीं है. प्रवक्ता राम सागर सिंह के मुताबिक आखिर लालू कैसे भूल सकते हैं कि नीतीश कुमार और उनकी टीम ने ही उनको जेल भिजवाया था.
"लालू जी के गेम प्लान में यह पहले से तय था. लालू यादव के जाल में नीतीश कुमार बुरी तरह से फंस चुके हैं. चूकि लालू को जेल भिजवाने वाले नीतीश और उनकी टीम के लोग ही थे तो इसे वह और उनका परिवार कैसे भूल सकते हैं"- राम सागर सिंह, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी
राजनीतिक दृष्टि से देखने की जरूरत नहीं:हालांकि आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि राहुल गांधी हो या नीतीश कुमार, सभी लोग लालू यादव से मिलते रहते हैं. अगर कोई उनकी विचारधारा से कुछ सीखना चाहता है तो राष्ट्रीय अध्यक्ष उनका हौसला अफजाई तो करेंगे ही. इसमें अगर कोई राजनीतिक एंगल देखना चाहता है तो हम क्या कर सकते हैं.
"राहुल गांधी, नीतीश कुमार और अन्य नेता जो लालू यादव से आशीर्वाद, स्नेह और गार्जियन के तौर पर देखते हैं, वह लालू जी की सोच और कमिटमेंट से सीखना चाहते हैं. कोई अगर सीखने के उद्देश्य से आता है तो लालू जी उसका हौसला अफजाई करते हैं. कोई राजनीतिक दृष्टि से देखता है तो ये अलग मामला है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
जेडीयू ने अच्छे संबंध की दुहाई दी:उधर, जनता दल यूनाइटेड के नेता इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट तौर पर बोलने से बच रहे हैं. जेडीयू प्रवक्ता हिमराज राम ने कहा कि राहुल गांधी एक बड़ी पार्टी के नेता हैं. उनके लालू प्रसाद यादव के साथ अच्छे संबंध हैं. नीतीश कुमार के साथ भी अच्छा संबंध है और शरद पवार के साथ भी अच्छा संबंध है. इसलिए विपक्षी एकजुटता का कदम आगे बढ़ रहा है.
"राहुल जी एक बड़ी पार्टी के नेता हैं. राहुल से लालू जी के अच्छे संबंध हैं. लालू जी से नीतीश कुमार जी के भी रिश्ते अच्छे हैं. शरद पवार के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं. तभी विपक्षी एकजुटता हो पाई है"- हिमराज राम, प्रवक्ता, जेडीयू
नीतीश को लेकर लालू ने क्यों बदला स्टैंड?: वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि लालू प्रसाद और उनके खेमे की ओर से जिस प्रकार से पहले नीतीश कुमार को नेक्स्ट प्राइम मिनिस्टर कैंडिडेट बताया जा रहा था, अब वह उस तरह से खुल कर नजर नहीं आ रहा है. उनका कहना है लालू अब राहुल गांधी को प्रोजेक्ट कर रहे हैं. नीतीश कुमार से ज्यादा बैकअप राहुल गांधी को दे रहे हैं. इसकी वजह तेजस्वी के लिए नीतीश का सीएम पद नहीं त्यागना भी हो सकती है.
"इसका बड़ा कारण यह हो सकता है कि लालू प्रसाद यादव को जो एक्सपेक्टेशन नीतीश कुमार से था, वह पूरा नहीं हो रहा होगा. लालू प्रसाद चाहते होंगे कि बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार जल्द से जल्द छोड़ें और तेजस्वी को कमान दें लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. शायद इसलिए उन्होंने अपना स्टैंड बदला है"- प्रो. अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ