पटना: पूर्व सीएम और हम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझीजबसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की है. उसके बाद उनको लेकर कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है. वैसे तो उनकी पार्टी महागठबंधन में शामिल है, लेकिन वह नाराज चल रहे हैं. वह मिशन 2024 के तहत बिहार में 5 सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की मांग भी कर रहे हैं. साथ ही जीतन राम मांझी को अपने बेटे की भी चिंता है, जिनका विधान परिषद का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है.
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मांझी की पूरी नहीं हो पायी है मांग: जीतनराम मांझी अपने बेटे के लिए भी व्यवस्था करना चाहते हैं. फिर भी मांझी की की मांग पूरी नहीं हो रही है. ऐसे नीतीश कुमार चाहते हैं कि जीतन राम मांझी महागठबंधन में बने रहे और इसलिए अपने मंत्रियों को भी मांझी से बात करने में लगाया और खुद भी उनसे बात की है, लेकिन बारगेनिंग में मामला फंसा हुआ है. अब जीतन राम मांझी 2024 लोकसभा चुनाव में किसकी नैया पार कराएंगे, बीजेपी की या फिर महागठबंधन की यह दिलचस्प बन गया है.
चिराग के साथ मांझी को भी साथ लाना चाहती है बीजेपी: बीजेपी के साथ पहले से ही चिराग पासवान दिख रहे हैं. बिहार में दलितों का कुल वोट 16 से 17% के करीब है और उसमें एक बड़ा हिस्सा चिराग पासवान के साथ है, जो फिलहाल बीजेपी के साथ दिख रहा है. बीजेपी चाहती है जीतन राम मांझी भी एनडीए के साथ जुड़ जाएं. यहां पासवान वोटों पर चिराग पासवान एकमुश्त दावेदारी करते हैं. दलितों में भी उनका प्रभाव है, तो वहीं जीतन राम मांझी मुसहर वोट पर अपनी दावेदारी करते हैं.
बिहार में 4 से 5 प्रतिशत मुसहर वोट: बिहार में दलितों के वोट बैंक में 5% के करीब पासवान तो 4 से 5% मुसहर वोट है. इसी मुसहर वोट पर जीतन राम मांझी की दावेदारी रही है. क्योंकि उसी समाज से मांझी आते हैं. पिछले 15 दिनों में जीतन राम मांझी से नीतीश कुमार ने अपने वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी को बातचीत करने के लिए लगाया. दो बार विजय कुमार चौधरी से जीतन मांझी की बातचीत हो चुकी है. वहीं नीतीश कुमार भी जीतन राम मांझी से मिलकर उनका मन टटोलने की कोशिश की है, लेकिन मांझी बारगेनिंग करने में लगे हैं.
अलग रास्ता अपनाने की घोषणा भी कर चुके हैं मांझी: जीतनराम मांझी अपने बयानों से भी साफ संदेश दे रहे हैं कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो अलग रास्ता तैयार कर सकते हैं. वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है जीतन राम मांझी जिस दलित समाज से आते हैं और खासकर मगध के क्षेत्र में उनका जो प्रभाव है. उसके कारण असर तो पड़ेगा ही. जीतन राम मांझी का केवल दलित में ही नहीं अन्य वर्गों में भी मगध के क्षेत्र में विशेष रूप से प्रभाव है. यदि यूपीए की फोल्डर से निकलते है तो यह यूपीए के लिए एक बड़ा झटका होगा.
"जीतन राम मांझी जिस दलित समाज से आते हैं और खासकर मगध के क्षेत्र में उनका जो प्रभाव है. उसके कारण असर तो पड़ेगा ही. जीतन राम मांझी का केवल दलित में ही नहीं अन्य वर्गों में भी मगध के क्षेत्र में विशेष रूप से प्रभाव है. यदि यूपीए की फोल्डर से निकलते है तो यह यूपीए के लिए एक बड़ा झटका होगा"- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
मांझी के बेटे महागठबंधन में रहने की करते हैं बात:ऐसे जीतन राम मांझी के बेटे और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन जो बिहार सरकार में एससी-एसटी मंत्री हैं, उनका कहना है कि जीतन राम मांझी ने साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार के साथ ही रहेंगे. वह राजनीति में हैं और जब दो गठबंधन है तो स्वाभाविक है पासा फेंका जाता है, लेकिन जीतन राम मांझी ने साफ कहा है कि महा गठबंधन सरकार में हम लोग हैं और नीतीश कुमार जहां रहेंगे हम वहीं रहेंगे.