पटना:वैसे तो विधानसभा चुनाव के बाद से ही कई मुद्दों को लेकर जेडीयू (JDU) की तरफ से बीजेपी (BJP) पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है, लेकिन बीजेपी नेताओं के बयान कई बार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को असहज कर देते हैं. खासकर जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बीजेपी कोटे के मंत्री तक जिस प्रकार से बयान दे रहे हैं, मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल खड़ी हो रही है. ऐसे में जेडीयू ने एनडीए में को-ऑर्डिनेशन कमेटी (Coordination Committee in NDA) बनाने की मांग की है.
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बिहार में पिछले लंबे समय से को-ऑर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी है और नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद केंद्र में भी कमेटी नहीं बनाई गई है. केंद्र में तो बीजेपी को स्पष्ट बहुमत है, लेकिन बिहार में 4 दल मिलकर सरकार चला रहे हैं. हाल के दिनों में कई बड़ी परियोजनाओं के उद्घाटन में सीएम नीतीश कुमार का चेहरा भी पोस्टर से गायब कर दिया जा रहा है. इससे पूरे बिहार में नीतीश कुमार को लेकर जो मैसेज जा रहा है, पार्टी नेताओं को वह अखड़ रहा है.
यही वजह है कि प्रधान महासचिव केसी त्यागी (KC Tyagi) ने को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग की और अब पार्टी के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) भी इसे जरूरी बताते हैं.
उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि पहले को-ऑर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी तो इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी मांग नहीं होनी चाहिए. वे कहते हैं कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी होगी तो जो बयानबाजी हो रही है, उस पर रोक लग सकेगी. वे ये भी कहते हैं कि नीतीश कुमार असहज नहीं हैं, लेकिन को-ऑर्डिनेशन कमेटी जरूरी है और यह बननी चाहिए.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी तो बननी ही चाहिए, क्योंकि एक से अधिक के दल होने के कारण कई मुद्दों पर राय अलग-अलग हो सकती है. जिस प्रकार से इन दिनों बयानबाजी हो रही है तो उसके लिए भी जरूरी है कि कहीं भी इसका समाधान हो सके. वे कहते हैं कि पहले भी को-ऑर्डिनेशन कमेटी रही है. तब बिहार एनडीए-1 में नंदकिशोर यादव संयोजक हुआ करते थे.
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हालांकि जेडीयू की इस मांग पर बिहार बीजेपी के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. प्रदेश प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेता इसे देख रहे हैं, वे ही फैसला लेंगे.
जेडीयू का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी को-आर्डिनेशन कमेटी थी और एनडीए-1 में भी बिहार में को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनी थी. एनडीए के अन्य घटक दल भी को-ऑर्डिनेशन कमेटीकी मांग गाहे-बगाहे करते रहते हैं. ऐसे में जेडीयू की तरफ से बीजेपी पर दबाव बनाने की यह रणनीति भी हो सकती है.