पटना: बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन पिछले डेढ़ दशक से है. दो-ढाई सालों को छोड़ दें, तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी-जदयू सभी चुनाव बिहार में जीतती रही है. 2015 में नीतीश महागठबंधन के साथ थे और महागठबंधन को जीत मिली. लेकिन नीतीश एक बार फिर पाला बदलते हुए एनडीए के साथ आ गए. इस साल लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने जीती. वहीं, 2020 में विधानसभा का चुनाव होने हैं. एक बार फिर से बीजेपी नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव में जाने की तैयारी शुरू कर दी है.
ऐसे में जदयू का मानना है कि नीतीश जिसके साथ रहेंगे, जीत उसी की मिलेगी. यही वजह है कि शायद नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के लिए मजबूरी हैं. बिहार में भले ही जदयू और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हो. बावजूद इसके, बीजेपी को अब भी नीतीश कुमार पर ही भरोसा है. 2020 में नीतीश कुमार के चेहरे के बलबूते ही बीजेपी विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. पिछले दिनों बीजेपी नेताओं के बयान से कई तरह के कयास लगने लगे थे. लेकिन अमित शाह के बयान के बाद साफ हो गया है कि अब नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर किसी तरह का संशय नहीं है.
2015 की हार देख चुकी है बीजेपी...
आज के समय में बीजेपी के लिए एक तरह से नीतीश कुमार मजबूरी हो गए हैं क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार के साथ बीजेपी का एलायंस बिहार में चल रहा है और हर बार जब भी नीतीश चेहरा रहे हैं, तो जीत एनडीए खेमे को ही मिली है. लेकिन 2015 में जब नीतीश एनडीए में नहीं थे तो एनडीए विधानसभा का चुनाव हार गया था. यही शायद वो बड़ा कारण है कि कई मुद्दों पर मतभेद होते हुए भी बीजेपी के लिए नीतीश का चेहरा ही 2020 में जरूरत है.