पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पटना से लेकर दिल्ली तक आंदोलन करते थे. पहले यूपीए की सरकार केंद्र में थी तो कई तरह के आरोप लगाते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से वह खामोश हैं. लेकिन नीतीश कुमारके सिपहसालार समय-समय पर विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाते रहे हैं.
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केंद्र और बिहार दोनों जगह एनडीए की सरकार है. डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी नीतीश की मांग पूरी नहीं हुई. पिछले कुछ समय से नीतीश इस मुद्दे पर बात भी नहीं कर रहे. लेकिन जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने गुरुवार को ट्वीट कर विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है.
दशन पुरानी... विशेष राज्य के दर्जे की मांग
बता दें कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग एक दशक से भी ज्यादा पुरानी है. समय और परिस्थिति के मुताबिक ये मुद्दा बिहार की राजनीति में सुर्खियां बटोरता रहा है. इस दौरान कई मौके ऐसे आए हैं, जब केंद्र सरकार की ओर से विशेष राज्य के दर्जे के सवाल को खारिज कर दिया गया है. अब आइये आपको बतातें कि आखिर क्यों बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.
क्यों नहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा?
14वें वित्त आयोग की सिफारिश की वजह से अब नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों को 14वें वित्त आयोग की सिफारिश की वजह से अब नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों को छोड़कर किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग काफी पहले से हो रही थी. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और गोवा की सरकारें भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करने लगीं.
इन राज्यों को मिला है विशेष राज्य का दर्जा
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के कारण एनडीए के महत्वपूर्ण सहयोगी चंद्रबाबू नायडू नाराज होकर अलग तक हो गए थे. अभी जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है उसमें असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं. इनमें से कई राज्यों की स्थिति विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद बेहतर हुई है. उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ.
विशेष राज्य का दर्जा भौगोलिक और सामाजिक स्थिति व आर्थिक संसाधनों के हिसाब से दिया जाता रहा है. नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल ने पहाड़, दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या, आदिवासी इलाका, अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर, प्रति व्यक्ति आय और कम राजस्व का आधार बनाया था. पांचवें वित्त आयोग ने सबसे पहले 3 राज्यों को 1969 में विशेष राज्य का दर्जा दिया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल था. अभी देश के 28 राज्यों में से 10 को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है.
इन शर्तों पर मिलता है विशेष राज्य का दर्जा
⦁ ऐसे राज्य जहां प्रति व्यक्ति आय कम कम हो.
⦁ बुनियादी ढ़ांचे में पिछड़े हों और आर्थिक तंगी से जूझ रहा हो.