पटना:छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. गांव-घरों और बाजारों में छठ गीत सुनाई दे रही है. खास कर बिहार में शारदा सिन्हा के छठ गीत को काफी पसंद किया जाता है. शारदा सिन्हा छठ गीत (Sharda Sinha Chhath Geet) और विवाह गीत के माध्यम से अपनी कालजयी पहचान बना चुकी है, लेकिन जिसने शारदा सिन्हा के लिए गीत लिखने का काम किया, आज वे खुद पहचान नहीं बना सके. हम बात कर रहे हैं मधुबनी के लेखक और गायक हृदय नारायण झा की, जिन्होंने शारदा सिन्हा के लिए कई गीत लिखे हैं.
2009 से शारदा सिन्हा के लिए लिख रहे गीतः छठ के मौके पर ईटीवी भारत संवाददाता ने हृदय नारायण झा से खास बातचीत की. हृदय नारायण झा मूल रूप से मधुबनी के घोघरडीहा गांव के रहने वाले हैं, जिन्होंने 2009 में शारदा सिन्हा के लिए पहला गीत लिखे थे. आज शारदा सिन्हा किसी पहचान की मोहताज नहीं है, लेकिन उनकी आवाज में जादू का कलम चलाने वाले हृदय नारायण झा पहचान की मोहताज हैं.
1988 से संगीत से जुड़े हैं: हृदय नारायण झा एक किसान परिवार से आते हैं. 1988 में ब्रह्म बाबा के पास में एक कार्यक्रम में गीत गाया था. इस दौरान एक मैथिली के एक बड़े गायक भी आए थे, जिन्होंने इनके गाना को काफी पसंद किया था. उन्होंने हृदय से अपील की थी कि वे कला के क्षेत्र में अपना करियर बनाएं. इसके बाद उन्होंने 1990 में पटना रेडियो में गाना गाने के लिए ऑडिशन दिया था.
पटना रेडियो में गीत गाएः हृदय को कला की कोई जानकारी नहीं थी, इसके बावजूद उनका सेलेक्शन हो गया था. उन्होंने शर्मिंदगी के कारण हारमोनियम बनाजा सीखा और रेडिया पर गीत गाना शुरू कर दिए. इस दौरान इन्होंने गीत गाने के साथ साथ अपनी कलम भी चलाना जारी रखा और कई मैथिली भक्ती गीत लिखने का काम किए.
शारदा सिन्हा को मिला पद्मश्री आवार्डः 2009 में शारदा सिन्हा के लिए पहला गीत 'सकल जगतरणी हे छठी मैया' लिखा था, जो आज भी घाटों पर सुनाई देता है. इस सफलता के बाद इन्होंने कई गीत लिखे. 2016 में शारदा सिन्हा के लिए 'पहले पहले कइनी छठ बरतिया' लिखा जो वर्ल्ड वाइड पर धमाल मचाया और लोगों ने खूब पसंद किया. इसके बाद 'महिमा बा राउर अपार हे छठी मैया' सहित कई गाने लिखे, जिसे आवाज देकर शारदा सिन्हा काफी मशहूर हो गईं. अपनी गीत से 1991 में पद्मश्री आवार्ड भी अपने नाम की.